Edited By Anil dev,Updated: 16 Jan, 2019 10:57 AM
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार के बाद माना जाने लगा है कि उसे साल 2014 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा। अगर हाल के चुनाव परिणाम को आधार बनाएं तो भाजपा को उत्तर और मध्य भारत में काफी सीटों का नुकसान होगा।
नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार के बाद माना जाने लगा है कि उसे साल 2014 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा। अगर हाल के चुनाव परिणाम को आधार बनाएं तो भाजपा को उत्तर और मध्य भारत में काफी सीटों का नुकसान होगा। पांच साल पहले राजग ने यूपी की 80 में से 73 सीटें जीती थी। गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की 80 सीटों में से 78 सीटों पर भाजपा ने जीती थी। आज स्थिति बदल गई है, जिससे भाजपा अब पूर्वी तट के पांच राज्यों में स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है। भाजपा की निगाह आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना व पश्चिम बंगाल पर है। पिछले चुनाव में इन राज्यों में इसकी स्थिति बहुत अच्छी रही थी। इनमें लोकसभा की 144 सीटें हैं। इन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों का दबदबा है। भाजपा को इन्हीं क्षेत्रीय दलों में से किसी के साथ गठबंधन करके स्थिति मजबूत करनी होगी। साल 2014 में भाजपा आंध्र प्रदेश में टीडीपी और तमिलनाडु में डीएमडीके के साथ मिलकर लड़ी थी लेकिन इस बार टीडीपी अलग हो गई है।
ओडिशा
ओडिशा में भाजपा के लिए काफी उम्मीद है। बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक पिछले 18 साल से सत्ता में हैं लेकिन वहां भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा यहां एक सीट जीती लेकिन पश्चिम ओडिशा के नौ सीटों पर यह दूसरे स्थान पर रही थी। साल 2016 के स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा ने 849 जिला परिषद सीटों में से 297 सीटों पर जीत दर्ज की और तीस काउंसिल अध्यक्ष में से आठ अपने खाते में डाल लिया था। ओडिशा के बाद पश्चिम बंगाल में भी भाजपा की स्थिति पिछले चुनाव से अच्छी है।
तमिलनाडु
पूर्वी तट के राज्यों में 39 लोकसभा सीटों के साथ तमिलनाडु सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। हालांकि, यहां भाजपा बहुत कमजोर स्थिति में रही है लेकिन जयललिता की मौत और कमल हासन एवं रजनीकांत के राजनीति में आने के बाद भाजपा के लिए स्थितियां अनुकूल हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को केवल एक सीट और पांच प्रतिशत वोट मिली थी। लेकिन इस बार अन्नाद्रमुक या रजनीकांत को साथ में लेकर चुनाव लडऩे की कोशिश में है। ऐसे में अगर भाजपा का गठबंधन हो जाता है, तो उसकी स्थिति बेहतर हो सकती है।
पश्चिम बंगाल
साल 2014 के चुनाव में भाजपा को 17 प्रतिशत वोट मिले थे, जो साल 2009 के चुनाव से लगभग तीन गुना अधिक था। साल 2018 के स्थानीय चुनाव में भी भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी। तृस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा ने हर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया था। अभी वहां भाजपा की स्थिति पहले से बेहतर हुई है और इसीलिए पार्टी वहां रथ यात्रा निकालने या फिर अन्य आयोजन करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है।
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में भाजपा की स्थिति स्पष्ट नहीं है। टीडीपी के अलग होने के बाद भाजपा को नए सहयोगी की तलाश है। संभव है भाजपा वाईएसआर कांग्रेस के साथ गठबंधन करे ताकि एक क्षेत्रीय पार्टी का सहयोग उसे मिलता रहे। टीडीपी ने भाजपा की छवि आंध्र विरोधी बनाने की कोशिश की है और प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न देने के लिए भाजपा पर निशाना साध रही है।
तेलंगाना
तेलंगाना में भाजपा कुछ खास नहीं कर पाई है। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने पिछले चुनाव से अच्छा प्रदर्शन किया है। के चंद्रशेखर राव की टीआरएस ने 119 में से 88 सीटें जीती। भाजपा को केवल पांच सीटें मिली है और कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। टीआरएस महागठबंधन का हिस्सा नहीं है और केसीआर गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं,जिसके लिए उन्होंने ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, केजरीवाल से बात की है। देखना यह है कि वे चुनाव तक वो अलग रहते हैं या फिर किसी के साथ जाते हैं।