भाजपा का मिशन 123: आसान नहीं होगी हारी सीटों पर जीत

Edited By vasudha,Updated: 06 Jan, 2019 01:04 PM

bjp mission 123

भारतीय जनता पार्टी ने हाल में हुए विधानसभा चुनावों में तीन प्रमुख राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली करारी हार से सबक लेते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में उन क्षेत्रों पर फोकस बढ़ा दिया है जहां उसे वर्ष 2014 के चुनाव में मोदी लहर के...

नई दिल्ली(विशेष): भारतीय जनता पार्टी ने हाल में हुए विधानसभा चुनावों में तीन प्रमुख राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिली करारी हार से सबक लेते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में उन क्षेत्रों पर फोकस बढ़ा दिया है जहां उसे वर्ष 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद हार मिली थी। खांटी भाजपाई राज्यों में गिरती लोकप्रियता की भरपाई के लिए ही भाजपा ने मिशन 123 शुरू किया है। 
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इस अभियान में शामिल हैं। इसी तहत पिछले दो हफ्ते में वे असम से लेकर उड़ीसा तक लगातार दौरे कर रहे हैं। भाजपा ने मिशन 123 के तहत कुल पच्चीस प्रभारी नियुक्त किया है। इनमें से ज्यादातर इलाके ऐसे हैं जहां भाजपा का परंपरागत वोटर नहीं है। देश के 20 राज्यों में फैले इन 123 संसदीय सीटों का दौरा शुरु कर चुके हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा जैसे राज्य ज्यादा फोकस है क्योंकि यहां की कुल 77 लोकसभा सीटें हैं जिसमें से भाजपा 2014 में सिर्फ 10 सीट ही जीत पाई थीं। 
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उल्लेखनीय है कि पिछली बार भाजपा कुल 428 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी इनमें उसे 282 सीटों पर जीत मिली थी। जिन 146 सीटों पर भाजपा हारी थी उनमें 54 सीटों पर वह दूसरे स्थान रही थी। भाजपा ने मिशन 123 के तहत कुल 123 सीटों पर किस आधार पर आगामी चुनाव के लिए फोकस तय किया है यह अभी स्पष्ट नहीं है। यदि हारी सीटों पर भाजपा को मिले वोट प्रतिशत के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भाजपा हारी सीटों में से 82 सीटें ऐसी थीं जहां उसे विजेता की तुलना में बीस फीसदी कम मत मिले थे। भाजपा को जिन सीटों पर पिछली बार हार मिली थी उनमें से ज्यादातर उसकी परंपरागत सीट नहीं है। इससे पहले के चुनावों में भी भाजपा को वहां कभी बेहतर स्थिति नहीं रही है। 

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लोकसभा चुनाव भाजपा को मिली हार वाली इन 146 सीटों के अंतर्गत 1196 विधानसभा सीटें आती है। 2014 के बाद यहां अब तक 1032 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो चुके हैं। भाजपा इनमें से 900 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ी लेकिन उसे सिर्फ 146 सीटों पर ही जीत मिली। इस तरह लोकसभा चुनाव के बाद भी भाजपा का इन इलाकों में सफलता का औसत सिर्फ 16 फीसदी ही रहा। अब 2019 में भाजपा चाहे जितना जोर लगा ले लेकिन उसके लिए बड़ी सफलता हासिल करना आसान नहीं होगा।

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