माल्या विवाद पर बीजेपी सांसद ने ही बढ़ाई जेतली की मुश्किलें, मांगा इस्तीफा

Edited By Yaspal,Updated: 15 Sep, 2018 12:36 AM

विजय माल्या से मुलाक़ात को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेतली की मुसीबत काम होने का नाम नहीं ले रही। एक तरफ तो कांग्रेस ने हमला बोल रखा है औरदूसरी तरफ बीजेपी के ही सांसद...

नई दिल्लीः (मनीष शर्मा) विजय माल्या से मुलाक़ात को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेतली की मुसीबत काम होने का नाम नहीं ले रही। एक तरफ तो कांग्रेस ने हमला बोल रखा है औरदूसरी तरफ बीजेपी के ही सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने जेतली के खिलाफ ट्विटर वार छेड़ दिया है। अरुण जेतली के धुर-विरोधी माने जाने वाले स्वामी ने अपने ट्वीट में कहा ‘नेहरू सरकार के समय रक्षा मंत्री रहे वी के कृष्ण मेनन के इस्तीफे की घटना का ज़िक्र करते हुए इशारों-इशारों में अरुण जेतली से इस्तीफा भी मांग लिया’।

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स्वामी ने ट्वीट में कहा, "नेहरू ने अपना प्रभाव उस समय खो दिया था, जब उन्होंने 1962 की नाकामी पर जनता की भारी मांग को ठुकराते हुए मेनन को बर्खास्त करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने जब कांग्रेस पार्टी को कहा कि अगर मेनन जायेगा तो मुझे भी जाना होगा। इस पर सभी ने एक सुर में कहा था कि चले जाईये। तब नेहरू डर गए और मेनन को बर्खास्त कर दिया।"


वहीं दूसरे ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वामी ने चेताया कि वित्तमंत्री के कारण उनकी लोकप्रियता खतरे में पद सकती है। उन्होंने ट्वीट में कहा, इतिहास से सबक सीखना चाहिए कि किस तरह मेनन के अंधे प्यार के चलते नेहरू ने अपनी लोकप्रियता खो दी थी।

 


इससे पहले गुरुवार को सुब्रमणियन स्वामी ने अरुण जेतली और विजय माल्या की मुलाक़ात पर सवाल खड़े करते हुए इसकी जांच की मांग की। उन्होंने ट्वीट करते हुए दो तथ्यों का भी ज़िक्र किया, पहले ट्वीट में लिखा है, 24 अक्टूबर, 2015 को माल्या के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस को 'ब्लॉक' से 'रिपोर्ट' में बदला गया। जिसके मदद से विजय माल्या 54 लगेज आइटम लेकर भागने में सफल हुआ। दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि माल्या ने संसद के सेंट्रल हॉल में वित्त मंत्री को बताया था कि वह लंदन के लिए रवाना हो रहा है।

 

 


आपको बता दें विजय माल्या ने लन्दन में पत्रकारों को बताया की 2016 में देश छोड़ने से पहले उसने वित्तमंत्री से मुलाकात की थी और सेटलमेंट का ऑफर भी दिया था। माल्या के ब्यान के कुछ घंटे बाद ही अरुण जेतली ने अपने फेसबुक पोस्ट में इस ब्यान को 'तथ्यात्मक रूप से गलत' बताते हुए खारिज कर दिया। कांग्रेस भी वही सवाल पूछ रही है जो सुब्रमणियन स्वामी पूछ रहे हैं। बीजेपी इन सवालों के जवाब देने की बजाय कांग्रेस पर आरोप लगा रही है कि विजय माल्या की कंपनी किंगफ़िशर एयरलाइन्स जब डूब रही थी तो उसको खैरात तत्कालीन मनमोहन सरकार ने दी थी। मुद्दा यह है क्या वित्तमंत्री अरुण जेतली का विजय माल्या को भागने में कोई हाथ है ? अगर वित्तमंत्री का दामन पाक साफ़ है तो उन्हें ब्लॉग लिखने की बजाय सबूत पेश करने चाहिए।

 

 

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