ऑफ द रिकॉर्ड: भाजपा को कर्नाटक में मोदी के ‘मैजिक’ की जरूरत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Apr, 2018 08:20 AM

bjp needs magic of modi in karnataka

कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है और हताश पार्टी नेतृत्व को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैजिक की जरूरत है ताकि राज्य में उसके पक्ष में संतुलन बनाया जा सके। अब तक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राज्य में चुनावी रणनीति की...

नेशनल डेस्कः कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है और हताश पार्टी नेतृत्व को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैजिक की जरूरत है ताकि राज्य में उसके पक्ष में संतुलन बनाया जा सके। अब तक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राज्य में चुनावी रणनीति की तैयारी और अभियान का संचालन करते आए हैं। शाह एक के बाद एक मठों का दौरा कर रहे हैं ताकि लिंगायतों और वोक्कालिंगा को अपनी ओर लुभाया जा सके। राज्य में कम से कम 700 मठ हैं। भाजपा राज्य नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया दिन-ब-दिन अपना आधार मजबूत कर रहे हैं। एक को छोड़कर राज्य के सभी कन्नड़ टी.वी. चैनलों ने सर्वेक्षण में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखाया है।

भाजपा इस बात को लेकर भी पंगु है कि उसका कोई भी राष्ट्रीय नेता कन्नड़ भाषा नहीं बोल सकता। इसके अलावा राज्य के नेताओं में भी एकता नहीं। इसके विपरीत राहुल गांधी ने राज्य का सारा चार्ज सिद्धरमैया को सौंप रखा है और अन्य नेताओं को दृढ़ता से कहा है कि वे मुख्यमंत्री का सहयोग करें। सिद्धरमैया का दलित, ओ.बी.सी. और मुस्लिम वोट बैंक में मजबूत आधार है जबकि भाजपा येद्दियुरप्पा के नेतृत्व में 17 प्रतिशत ङ्क्षलगायतों को एकजुट रखने में संघर्षरत है। मोदी ने संकेत दिया है कि वह ब्रिटेन से वापस लौटने के बाद 20 अप्रैल के उपरांत राज्य में 15 से 18 रैलियों को संबोधित करेंगे।

भाजपा नेतृत्व ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वह राज्य के मूड को पार्टी की तरफ मोड़ने में मदद करें क्योंकि राज्य में टी.वी. चैनलों के सर्वेक्षणों ने दिखाया है कि कांग्रेस मतदाताओं में काफी आगे है। प्रधानमंत्री की अधिकांश सार्वजनिक रैलियां जिला स्तर पर होंगी जिससे मतदाता पार्टी के साथ जुड़ सकें। मोदी हर दिन 2 या 3 रैलियों को संबोधित करेंगे। मोदी ने पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में 24 रैलियों को संबोधित किया था। 2015 में बिहार के चुनावों के दौरान उन्होंने सबसे अधिक 31 रैलियों को संबोधित किया था। त्रिपुरा में मोदी ने केवल 4 रैलियां की थीं। भाजपा को उम्मीद है कि राज्य में 1 से लेकर 2 प्रतिशत मतदाताओं का रुख पार्टी की तरफ होने से स्थिति बदल सकती है और मोदी का ‘मैजिक’ ऐसा काम करेगा।

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