दिल्ली चुनावः भाजपा ने अनुभवी प्रत्याशियों और मोदी सरकार के कामकाज पर खेला दांव

Edited By Yaspal,Updated: 21 Jan, 2020 11:38 PM

bjp played bet on veteran candidates and work of modi government

आम आदमी पार्टी (आप) को सत्ता से बेदखल कर दो दशक बाद दिल्ली में पुनः सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर चल रही भाजपा ने इस बार अपने अनुभवी उम्मीदवारों पर दांव खेला है और उसे केन्द्र में अपनी पार्टी के कामों एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के...

नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी (आप) को सत्ता से बेदखल कर दो दशक बाद दिल्ली में पुनः सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर चल रही भाजपा ने इस बार अपने अनुभवी उम्मीदवारों पर दांव खेला है और उसे केन्द्र में अपनी पार्टी के कामों एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा है। भाजपा दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उसने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगी दलों जनता दल (यूनाइटेड) के लिए दो सीट और लोक जनशक्ति पार्टी के लिए एक सीट छोड़ी है।

भाजपा ने उन चार सीटों पर भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं जिस पर पारंपरिक रूप से उसकी पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) जीत दर्ज कराती रही है। अकाली दल ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर मतभेद के चलते सोमवार को भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली का चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की। भाजपा नेताओं ने कहा कि चुनाव न लड़ने के अकाली के निर्णय से भाजपा की संभावनाओं पर असर नहीं पड़ेगा।

शिरोमणि अकाली दल ने चुनाव लड़ने से किया इनकार
दिल्ली के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “हमने चारों सीटों- हरि नगर, राजौरी गार्डन, शाहदरा और कालकाजी पर अच्छे उम्मीदवार उतारे हैं। इन सीटों पर शिअद ने 2015 में चुनाव लड़ा था और हार गए थे।” पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि शहर में अगली सरकार भाजपा बहुमत के साथ बनाएगी। उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार ने ने प्रदूषण कम करने के लिए पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के निर्माण के अलावा अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गियों में रहने वालों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।

पूर्व विधायकों पर भी खेला दांव 
वहीं दूसरी तरफ आप सरकार ने आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं को लंबित रखा।” भाजपा के 67 उम्मीदवारों में से 30 या तो पूर्व विधायक हैं या उन्होंने पहले कभी विधानसभा का चुनाव लड़ा है। चुनाव के लिए दिल्ली भाजपा की मीडिया समिति के सह संयोजक वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि चुनावी राजनीति में प्रत्याशियों का अनुभव आठ फरवरी को होने वाले चुनाव में उनकी जीत की संभावना को बढ़ाएगा।

 

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