छत्तीसगढ़: कांग्रेस के गढ़ में  जीत का चौका मारने को तैयार भाजपा

Edited By vasudha,Updated: 14 Mar, 2019 11:00 AM

bjp ready to win the victory in the chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का गढ़ रहे जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर जीत की हैट्रिक बना चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब यहां चौका मारने के प्रयास में है। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक कलचुरी राजवंश के महाराजा जांज्वल्य देव ने इस क्षेत्र को बसाया था और...

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का गढ़ रहे जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर जीत की हैट्रिक बना चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब यहां चौका मारने के प्रयास में है। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक कलचुरी राजवंश के महाराजा जांज्वल्य देव ने इस क्षेत्र को बसाया था और उन्हीं के नाम पर इसका जांजगीर नाम पड़ा। 

ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर प्रसिद्ध जांजगीर
कोसा, कांसा और कंचन के उत्पादन एवं व्यापार को लेकर विख्यात और हिन्दू पुराण के मुताबिक भगवान राम के वनवास काल में शिवरीनारायण आगमन के दौरान शबरी द्वारा उन्हें जूठे बेर खिलाये जाने संबंधी कई प्राचीन धार्मिक एवं ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर प्रसिद्ध जांजगीर-चांपा क्षेत्र वर्ष 1952 में पहले आम चुनाव के दौरान संसदीय क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में नहीं था। अविभाजित मध्य प्रदेश का हिस्सा रहे जांजगीर (अब छत्तीसगढ़) का 1957 के चुनाव के दौरान संसदीय क्षेत्र के रूप में गठन किया गया। उस चुनाव में कांग्रेस के सरदार अमर सिंह सहगल और मिनी माता अगम (बलौदाबाजार) निर्वाचित हुए। 

कांग्रेस और भाजपा के बीच चला शह-मात का खेल 
वर्ष 1962 के चुनाव में भी सहगल और मिनी माता (बलौदाबाजार) से निर्वाचित हुई। वर्ष 1967 और उसके बाद 1971 के आम चुनाव में जांजगीर(सु) लोकसभा सीट से मिनी माता ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लगातार जीत हासिल की। वर्ष 1973 में मिनी माता की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु के उपरांत रिक्त जांजगीर सीट के लिए 1974 में हुये उपचुनाव में कांग्रेस के ही भगतराम मनहर विजयी हुए। आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव के दौरान जांजगीर लोकसभा सीट सामान्य श्रेणी में आरक्षित कर दी गयी। आपातकाल के विरोध में उठे देशव्यापी लहर का असर यहां भी पड़ा और कांग्रेस को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इस बार के चुनाव में जनता पार्टी के मदनलाल शुक्ला ने जीत हासिल की। इसके बाद जितने भी आम चुनाव हुए उनमें कांग्रेस और भाजपा के बीच शह और मात का खेल चलता रहा। 

‘धान का कटोरा’ माना जाता है छत्तीसगढ़
वर्ष 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस के रामगोपाल तिवारी ने चुनाव जीता। ‘धान का कटोरा’ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में जांजगीर-चांपा धान का एक प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। जांजगीर-चांपा संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी में एक तिहाई हिस्सा अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की है और यह वर्ग किसी भी राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक के रूप में काफी अहमियत रखता है। अस्सी के दशक में कांशीराम का ध्यान इस अनुसूचित जाति बहुल इलाके पर गया। इस वर्ग के उत्थान के उद्देश्य को लेकर बहुजन समाज पार्टी का गठन करने से पूर्व उन्होंने पहले डी-एस फोर और उसके बाद बामसेफ संगठन को आकार दिया था। कांशीराम ने अनुसूचित जाति के वोट बैंक का लाभ उठाने के लिए 1984 में अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव इस सीट पर लड़ा। किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के प्रभात कुमार मिश्र ने यह चुनाव जीता। वर्ष 1989 में जांजगीर लोकसभा सीट पर भाजपा ने जशपुर क्षेत्र के लोकप्रिय नेता दिलीप सिंह जूदेव पर दांव खेला और यह सफल भी रहा, लेकिन 1991 में कांग्रेस के भवानीलाल वर्मा ने भाजपा से यह सीट छीन ली। 

वाजपेयी जी की भतीजी के नाम हुई जीत 
वर्ष 1996 में भाजपा के मनहरण लाल पांडेय विजयी हुए। इसके बाद 1998 में कांग्रेस ने यह सीट पुन: हथियाई और 1999 में भी अपना कब्जा बरकरार रखा। दोनों चुनाव में कांग्रेस के चरणदास महंत निर्वाचित हुए। एक नवम्बर 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2004 में आम चुनाव हुए। तब इस सीट का नाम जांजगीर-चांपा हो गया। भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया और इस पर एक बार फिर अपना कब्जा किया। बदली परिस्थिति में  शुक्ला अब कांग्रेस में है। इसके बाद 2009 और 2014 में यहां से लगातार दो आम चुनाव जीतकर भाजपा ने हैट्रिक बनायी। इन दोनों चुनावों में भाजपा की श्रीमती कमला पाटले ने जीत का परचम लहराया है।  

भाजपा ने किया जीत का दावा 
पाटले ने बताया कि इस बार भी उन्हें भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाए जाने का विश्वास जताया और अपनी जीत की हैट्रिक बनाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में निस्संदेह भाजपा की जीत तय है। उन्होंने जोर दिया कि जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पूरा भरोसा है और वह भली-भांति जानती और समझती है कि देश का भविष्य किनके हाथों में सुरक्षित है। कोसा (टसर सिल्क) के लिए प्रसिद्ध इस इलाके में बनी कोसे की साड़ियों और अन्य कपड़ों की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि यहां आने वाले देश-विदेश की जानी-मानी हस्तियों तथा स्थानीय मेहमानों को भी उपहारस्वरूप कोसे की साड़यिां अथवा वस्त्र भेंट किए जाते हैं। जांजगीर-चाम्पा संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें अकलतरा, चंद्रपुर, बिलाईगढ़(सु),जांजगीर-चांपा, जयजयपुर, कसडोल, सक्ती और पामगढ़(सु) शामिल है। इन विधानसभा सीटों में से चार कांग्रेस, दो बहुजन समाज पार्टी और एक-एक सीट भाजपा तथा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पास है। इस लोकसभा क्षेत्र में 2014 के आंकड़ों के मुताबिक कुत मतदाताओं की संख्या 17,37,532 थी जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8,90,439 और महिला मतदाताओं की संख्या 8,87,093 थी। 

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