दलितों के घर डिनर को लेकर बीजेपी के दलित नेता बोले, पार्टी नेता बंद करें ढोंग

Edited By Yaspal,Updated: 08 May, 2018 07:08 PM

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बीजेपी नेताओं का दलितों के घर खाना-पीना अपनी पार्टी के नेताओं को ही रास नहीं आ रहा है। दलितों के घर खाना खाने को लेकर बार-बार हो रहे विवाद और बयानबाजी के बाद बीजेपी के दलित सांसद चाहते हैं कि पार्टी नेता दलितों के घर आना-जाना कम करे।

नेशनल डेस्कः बीजेपी नेताओं का दलितों के घर खाना-पीना अपनी पार्टी के नेताओं को ही रास नहीं आ रहा है। दलितों के घर खाना खाने को लेकर बार-बार हो रहे विवाद और बयानबाजी के बाद बीजेपी के दलित सांसद चाहते हैं कि पार्टी नेता दलितों के घर आना-जाना कम करे।

बीजेपी सांसद ने ली मंत्री अनुपमा जायसवाल पर चुटकी
बहराइच से सांसद सावित्री बाई फूले ने कहा कि दलितों के घर जाने से पहले बीजेपी नेताओं के इस तरह के विवाद दलितों के बीच असंतोष पैदा कर रहे हैं। उन्होंने यूपी की मंत्री अनुपमा जायसवाल पर चुटकी लेते हुए कहा कि अगर आपको दलित वोट चाहिए तो आपको मच्छरों से परेशानी नहीं होनी चाहिए। बता दें कि यूपी सरकार में मंत्री अनुपमा जायसवाल पिछले दिनों एक दलित के घर खाना खाने गई तो उन्होंने वहां मच्छरों के काटने की शिकायत की थी। जिसके बाद काफी विवाद हुआ था।

बीजेपी सांसद यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने यूपी के गन्ना मंत्री सुरेश राणा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि दलितों के घर जाने का मतलब होता है उनके रहन-सहन और जिंदगियों को करीब से जानना, न कि पनीर, दाल मखनी, पुलाव और गुलाब जामुन खाना। पिछले दिनों अलीगढ़ के प्रभारी मंत्री सुरेश राणा शहर में अचानक दलित के घर अपने कुछ समर्थकों के साथ पहुंचे और उन्होंने वहां जाकर बाहर से खाना ऑर्डर किया। हालांकि उन्होंने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया।

सावित्री फूले के अलावा बीजेपी नेता डॉ. संजय पासवान भी चाहते हैं कि बीजेपी दलित परिवारों में आना जाना कम करें। बीजेपी दलित सांसद उदित राज ने भी कहा कि पार्टी को लगता है कि उनके नेता दलितों के घर खाना खाकर उन पर एहसान कर रहे हैं।

उदित ने बीजेपी नेता राजेंद्र प्रताप सिंह के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आज का दलित 1960 या 70 के दलित जैसा नहीं है। आज का दलित अपने अधिकार जानता है, ज्ञात हो कि राजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा था कि बीजेपी नेताओं का दलितों के घर जाना जैसे राम का शबरी के घर जाना।

बीजेपी के लिए एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सड़कों पर उतरे दलितों का मनाना 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक कड़ी चुनौती है। बीजेपी के आगे दूसरी चुनौती अपनी पार्टी में ही दलित नेताओं की उठती आवाजें है।

यूपी के एक दलित स्कॉलर ने कहा कि ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर और दूसरी उपरी जातियों के बीजेपी नेता वोटों के लिए दलितों के घर खाना खाने का ढोंग करते हैं बल्कि सच्चाई ये हा कि ये नेता दलितों के घर खाना खाने पर खुद को सहज महसूस नहीं करते हैं।

दलितों के घर जाने को लेकर बयानबाजी और विवादों के बीच देश को इसी पार्टी ने पहला दलित राष्ट्रपति दिया। सावित्री फूले इस पर बोलते हुए कहती हैं कि मैं अपने इलाके की सांसद हूं, न कि दलित सांसद। उसी तरह रामनाथ कोविंद भी भारत के राष्ट्रपति हैं न कि दलित राष्ट्रपति

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