TDP में टूट से हैरत में भाजपा के सहयोगी, शिवसेना, शिअद और जद (यू ) बदलेंगे रणनीति!

Edited By Anil dev,Updated: 21 Jun, 2019 09:50 AM

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भारतीय जनता पार्टी द्वारा गुरुवार को टी.डी.पी. में लगाई गई सेंध ने भाजपा व अन्य सहयोगियों को हैरत में डाल दिया है। टी.डी.पी. एक समय पर भाजपा की सहयोगी थी और चंद्रबाबू नायडू अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे थे लेकिन इस लोकसभा चुनाव के...

जालंधर(नरेश): भारतीय जनता पार्टी द्वारा गुरुवार को टी.डी.पी. में लगाई गई सेंध ने भाजपा व अन्य सहयोगियों को हैरत में डाल दिया है। टी.डी.पी. एक समय पर भाजपा की सहयोगी थी और चंद्रबाबू नायडू अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे थे लेकिन इस लोकसभा चुनाव के दौरान चंद्रबाबू नायडू ने ही भाजपा के खिलाफ ताल ठोकी थी और चुनाव में नायडू की पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। 

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इसके बाद भाजपा ने राज्यसभा में भी उसके 4 सदस्यों को तोड़ कर टी.डी.पी. संसदीय दल का भाजपा में विलय करवाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। भाजपा की इस राजनीति से उसके मौजूदा सहयोगी जद (यू) के नीतीश कुमार, शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल चौकस हो गए हैं। ये तीनों पाॢटयां इस समय एन.डी.ए. का हिस्सा हैं। हालांकि इनमें से जनता दल (यू ) सरकार में भागीदार रही है लेकिन उसने चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और बिहार में उसको इसका बड़ा फायदा भी हुआ लेकिन जिस तरीके से भाजपा ने टी.डी.पी. में सेंध लगाई है, उसने इन तीनों पाॢटयों की भविष्य की राजनीति को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है और अपने-अपने राज्यों में इन पाॢटयों को अब भाजपा के कारण अपनी रणनीति में बदलाव भी करना पड़ सकता है। 

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भाजपा ने जगन को भी दिया संदेश
टी.डी.पी. को तोड़ कर भाजपा ने न सिर्फ चंद्रबाबू नायडू की सियासी कमर तोड़ दी है बल्कि उनके ध्रुव विरोधी जगनमोहन रैड्डी को भी एक सकारात्मक संदेश दे दिया है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा चुनाव में रैड्डी की पार्टी को बहुमत हासिल हुआ और लोकसभा में भी रैड्डी की पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। भाजपा ने नायडू की पार्टी को तोड़ कर जगन के साथ रिश्तों में मजबूती का संदेश दिया है और रैड्डी और भाजपा के नेताओं के मध्य पिछले कई दिनों से अच्छा तालमेल देखने को मिल रहा है और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आपसी तालमेल के साथ विकास कार्य करने को लेकर दोनों तरफ से बयान भी जारी हुए हैं। टी.डी.पी. का बिखराव न सिर्फ आने वाले दिनों में आंध्र प्रदेश की राजनीति को नई दिशा देगा बल्कि इससे तेलंगाना की राजनीति भी प्रभावित होगी। 

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नीतीश अपना रहे बागी तेवर
केंद्र सरकार में गठन के समय से ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के मध्य बयानबाजी का खेल चल रहा है। दरअसल भाजपा ने जनता दल (यू) को केंद्र में एक मंत्री बनाने की पेशकश की थी जिसे ठुकरा कर नीतीश कुमार ने सरकार में शामिल होने से मना कर दिया, उसके बाद ट्रिपल तलाक जैसे भाजपा के कोर मुद्दे पर नीतीश कुमार की पार्टी ने अलग स्टैंड लिया है। पार्टी के नेता बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी किए जाने के बयान दे रहे हैं और नीतीश कुमार की मौजूदा राजनीति से बिहार में नए गठबंधन की जमीन भी तैयार हो रही है। इस बीच भाजपा की यह कार्रवाई नीतीश को अपनी भविष्य की राजनीति को लेकर सोचने पर मजबूर जरूर करेगी। 

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