2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी, बीजेपी फिर खेलेगी हिन्दू कार्ड

Edited By Yaspal,Updated: 26 Oct, 2018 07:51 PM

भारतीय राजनीति में हिन्दू पार्टी कहलाने का अगर किसी के पास एकाधिकार था तो वो थी भारतीय जनता पार्टी लेकिन आज सॉफ्ट हिंदुत्व वाली कांग्रेस से लेकर , हिन्दू विरोधी कही जाने वाली टीएमसी जैसी पार्टियां भी बहुसंख्यकों को रिझाने में लग गई हैं...

नई दिल्लीः (मनीष शर्मा) भारतीय राजनीति में हिन्दू पार्टी कहलाने का अगर किसी के पास एकाधिकार था तो वो थी भारतीय जनता पार्टी लेकिन आज सॉफ्ट हिंदुत्व वाली कांग्रेस से लेकर , हिन्दू विरोधी कही जाने वाली टीएमसी जैसी पार्टियां भी बहुसंख्यकों को रिझाने में लग गई हैं। राहुल गाँधी जनेऊधारी शिव भक्त बन गए हैं और ममता बनर्जी करोड़ों रूपये दुर्गा पूजा में दान कर रही हैं। उनको यह सबक बीजेपी को मिल रही लगातार कामयाबियों से मिला है। दरअसल बीजेपी ने शुरू से ही भारत में हिन्दुओं की हो रही उपेक्षा को प्रचारित किया है। इसलिए 1984 में लोकसभा में दो सीट से शुरुआत करने वाली बीजेपी को 2014 में उम्मीद से ज़्यादा 282 सीटें मिली। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पहली बार हिन्दुओं ने जाति से उठकर धर्म के नाम पर बीजेपी को वोट दिया था।

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2014 में सभी जातियों ने दिया बीजेपी को वोट CSDS-लोकनीति सर्वे के मुताबिक

  • 47 प्रतिशत: अगड़ी जातियां  (2009 में सिर्फ 29 प्रतिशत था)
  • 34 प्रतिशत:  ओबीसी  ( 2009 में 22 प्रतिशत था )
  • 24 प्रतिशत: अनुसूचित जाति (2009 में 12 प्रतिशत था )
  • 38 प्रतिशत: अनुसूचित जनजाति ( 2009 में 24 प्रतिशत था ) ने बीजेपी को वोट दिया


2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जम कर हिन्दू कार्ड खेला। ऊपर से विपक्षी दलों के नेताओं के बयानों ने भी धुर्वीकरण को बढ़ावा दिया। जिससे मुस्लिम वोट तो विपक्षी पार्टियों में बँट गए लेकिन हिन्दू वोट बीजेपी को चले गए। 403 सीट वाली यूपी विधान सभा में  बीजेपी को इतिहास में पहली बार 312 सीटें मिली।

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यूपी चुनाव में बीजेपी का हिन्दू कार्ड: 

  • घोषणापत्र में राम मंदिर बनाने का वायदा किया गया।
  • गौरक्षा का मुद्दा भी ज़ोर-शोर से उठाया गया।
  • विपक्षी पार्टियों को मुस्लिम परस्त पार्टियों के तौर पर प्रचारित किया।
  • लव जिहाद के मामलों को भुनाया गया।
  • शमशान बनाम कब्रिस्तान जैसा मुद्दा मुख्य अजेंडे में शामिल हो गया।


लेकिन बीजेपी अब समझ गई है कि 2019 में उसे विकास के नाम पर वोट नहीं मिलने वाले हैं तो क्यों न फिर से संतों की शरण में चला जाए? जनवरी-फरवरी में प्रयाग में लगने वाले अर्ध कुम्भ मेले को बीजेपी अपने राजनीतिक मंच के तौर पर इस्तेमाल करने जा रही है, ताकि उसके परंपरागत वोटर्स वापस उससे जुड़ सकें। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्थानों के नामों का हिन्दुकरण करने में लगे हुए हैं। इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है। और तो और यूपी के मुख्यमंत्री ने प्रयाग अर्ध कुम्भ को कुम्भ का दर्जा भी दे दिया है।

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हिन्दू कार्ड: बीजेपी की मजबूरी:

  • नोटबंदी और तेल के बढ़ते दामों से मध्यम वर्ग में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में काफी कमी आई है।
  • SC ST एक्ट में सरकार के कदम से अगड़ी जाति भी बीजेपी से नाराज़ है।
  • राम मंदिर के निर्माण पर आरएसएस और संतों ने भी अल्टीमेटम दे दिया है।
  • GST लागू होने से व्यापारी वर्ग भी सरकार से नाराज़ चल रहा है।

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धुर्वीकरण से बीजेपी को हमेशा फायदा हुआ है, लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने से हिन्दुओं को कितना फायदा हुआ है यह बहस का विषय है। पिछले 30 सालों से राम मंदिर का निर्माण, अनुछेद 370 और समान नागरिक संहिता पर बीजेपी की अवसरवादिता जगजाहिर है। 

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