Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Jul, 2020 03:45 PM
तमिलनाडु के इरोड जिले में अगरबत्ती बेचने वाले दृष्टिबाधित (vision impaired) पति-पत्नी उस समय स्तब्ध रह गए जब उन्हें पता चला कि उन्होंने मेहनत की कमाई से जो 24 हजार रुपए बचाए थे, वे 1000 और 500 रुपए के चलन से बाहर हो चुके नोटों में है, जिन्हें लगभग...
नेशनल डेस्कः तमिलनाडु के इरोड जिले में अगरबत्ती बेचने वाले दृष्टिबाधित (vision impaired) पति-पत्नी उस समय स्तब्ध रह गए जब उन्हें पता चला कि उन्होंने मेहनत की कमाई से जो 24 हजार रुपए बचाए थे, वे 1000 और 500 रुपए के चलन से बाहर हो चुके नोटों में है, जिन्हें लगभग चार साल पहले बंद किया जा चुका है। सुदूर पोठिया मूपानूर गांव के निवासी सोमू (58) ने दावा किया कि उन्हें नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बारे में शुक्रवार को पता चला जब वह अपनी और अपनी पत्नी पलानीअम्मल की बचत की रकम बैंक में जमा कराने गए। उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि Covid-19 के चलते बीते चार महीने से कोई कमाई नहीं हो पा रही थी, तो उन्होंने अपनी निरक्षर मां के पास रखी अपनी बचत निकाली।
सोमू इस राशि को जमा कराने बैंक ले गए, जहां अधिकारियों ने उन्हें बताया कि ये नोट काफी पहले बंद हो चुके हैं। सोमू ने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने नजदीकी अंथियूर और आसापास के इलाकों में दस साल से अधिक समय तक अगरबत्तियां तथा कपूर बेचकर यह बचत की थी। उन्होंने कहा कि हर हफ्ते वह अपने साथ रह रही अपनी मां को कुछ पैसा दिया करते थे, जिसे वह अपने पास सुरक्षित रख लिया करती थी। वह नियमित अंतराल पर इसे 500 या 1000 के नोटों में बदलवा लेते थे। सोमू ने कहा कि हम तीनों लोगों को पता ही नहीं था कि 1000 और 500 के ये नोट बंद हो चुके हैं।
सोमू ने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलनीस्वामी को ज्ञापन भेजकर उनसे मदद का अनुरोध किया है। पुलिस ने इस मामले की जांच करने की बात कही है। इससे पहले, नजदीकी तिरुपुर जिले से भी पिछले साल ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां दो बुजुर्ग बहनों को पता चला था कि उनकी 46 हजार रुपए की जीवनभर की बचत 1000 और 500 के चलन से बाहर हो चुके नोटों में है, जिन्हें बंद किया जा चुका है।