DefExpo 2018: ‘मेक इन इंडिया’ लड़ाकू विमान के लिए बोइंग ने एचएएल-महिंद्रा से मिलाया हाथ

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Apr, 2018 11:53 AM

boeing joins hal mahindra for  make in india  fighter aircraft

देश में ही एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान के विनिर्माण के लिए बोइंग इंडिया ने सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और निजी क्षेत्र की महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स (एमडीएस) के साथ साझेदारी की घोषणा की है। कंपनी की नजर भारतीय वायुसेना के...

तिरुवेदांताई: देश में ही एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान के विनिर्माण के लिए बोइंग इंडिया ने सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और निजी क्षेत्र की महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स (एमडीएस) के साथ साझेदारी की घोषणा की है। कंपनी की नजर भारतीय वायुसेना के 110 लड़ाकू विमानों के ऑर्डर पर है। बोइंग ने कहा कि इस साझेदारी से भारत में भविष्य की प्रौद्योगिकी के संयुक्त विकास में भी मदद मिलेगी जो भारत के हवाई क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र परिवेश को बदल देगी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ सुपर हॉर्नेट के लिए एक नया अत्याधुनिक उत्पादन संयंत्र स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है। इसका उपयोग भारत के अत्याधुनिक मध्यम लड़ाकू विमान कार्यक्रम में किया जा सकेगा।

बोइंग छोटे वाणिज्यिक विमान बनाने वाली इकलौती कंपनी
बोइंग इंडिया के अध्यक्ष प्रत्यूष कुमार ने कहा, ‘‘बोइंग, भारत की एकमात्र लड़ाकू विमान विनिर्माता कंपनी एचएएल और छोटे वाणिज्यिक विमान बनाने वाली इकलौती कंपनी एमडीएस के साथ साझेदारी को लेकर उत्साहित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह साझेदारी भारत की सबसे उत्कृष्ट सार्वजनिक-निजी भागीदारी को सामने लाएगी, वह भी दुनिया की सबसे बड़ी विमान बनाने वाली कंपनी के साथ। बोइंग भारत में विमानन एवं रक्षा विनिर्माण के लिए समकालिक 21वीं सदी के पारिस्थितिकी को आगे बढ़ाएगा।’’ इस साझेदारी की घोषणा यहां चल रही रक्षा प्रदर्शनी के दूसरे दिन हुई है। इस संबंध में यहां एक समझौते पर कुमार और एचएएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक टी. सुवर्ण राजू और एमडीएस के चेयरमैन एस.पी. शुक्ला ने हस्ताक्षर किए। 

विमानों के ऑर्डर की आपूर्ति में बोइंग आगे
बोइंग उन प्रमुख कंपनियों में है जो भारतीय वायुसेना के 110 विमानों के ऑर्डर की आपूर्ति कर सकती है। इसके अलावा लॉकहीड मार्टिन, साब, दसॉल्ट और मिग के भी इसमें शामिल होने की संभावना है। भारतीय वायुसेना ने इस बड़ी खरीद के लिए 6 अप्रैल को प्रारंभिक निविदा भी निकाली है। विमान विनिर्माता कंपनियों को अपने प्रस्ताव 6 जुलाई तक भेजने हैं। कंपनी के एक बयान के मुताबिक सुपर हॉरनेट लड़ाकू विमान की न सिर्फ अधिग्रहण लागत कम है बल्कि इसको उड़ाने की प्रतिघंटा लागत भी अन्य विमानों से कम हैं। कुमार ने कहा कि इस संयुक्त उपक्रम में बड़ी मात्रा में निवेश किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने किसी तरह के आंकड़े की जानकारी देने से मना कर दिया। एमडीएस के शुक्ला ने कहा, ‘‘यह एक संयोजन है जहां हम तीन कंपनियां हैं और जो अपनी विशेषज्ञता साथ लेकर आएंगी और इस गठबंधन को ज्ञान और विशिष्टता देंगे।’’ इस संबंध में एचएएल के राजू ने कहा कि देश में हवाई क्षेत्र के विकास के लिए वह हमेशा सबसे आगे रहती है। यह साझेदारी देश में हवाईक्षेत्र के स्वदेशी मंच को विकसित करने में मदद करेगी, साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ में भी अपना योगदान देगी।

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