Edited By Anil dev,Updated: 23 Jun, 2022 05:24 PM
बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वह समाज सुधारकों- डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और ज्योतिबा फुले के मूल हस्तलेखों को संरक्षित और कायम रखने के लिए क्या कदम उठा रही है।
नेशनल डेस्क: बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वह समाज सुधारकों- डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और ज्योतिबा फुले के मूल हस्तलेखों को संरक्षित और कायम रखने के लिए क्या कदम उठा रही है। न्यायमूर्ति पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति एस.डी. कुलकर्णी की खंडपीठ ने मीडिया में आई उन खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिसंबर 2021 में एक मामला शुरू किया था कि महाराष्ट्र सरकार ने आंबेडकर के साहित्य को प्रकाशित करने की अपनी परियोजना रोक दी है।
अदालत में इसी मामले पर सुनवाई हो रही थी। अदालत की सहायता के लिए नियुक्त वकील स्वराज जाधव ने बृहस्पतिवार को अदालत को सूचित किया कि आंबेडकर और फुले की अधिकांश मूल हस्तलिखित पांडुलिपियां दक्षिण मुंबई की एक पुरानी इमारत के एक छोटे और गंदे कमरे में संग्रहित की गई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मानसून की शुरुआत के साथ, इस बात की प्रबल संभावना है कि कागज खराब हो सकते हैं, जिससे स्थायी अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। सरकार की तरफ से पेश वकील पूर्णिमा कंथारिया ने अदालत को बताया कि सरकार अपना हलफनामा दायर करेगी। इसके बाद पीठ ने कंथारिया से हलफनामे में यह भी बताने को कहा कि सरकार पांडुलिपियों को संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रही है। अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए चार हफ्ते बाद की तारीख तय की है।