इन दिनों भारत के चीन और नेपाल के साथ संबंधों में खटास बढ़ती जा रही है। वजह है चीन के साथ सीमाओं को लेकर तनाव व नेपाल के साथ चल रहा ...
काठमांडूः इन दिनों भारत के चीन और नेपाल के साथ संबंधों में खटास बढ़ती जा रही है। वजह है चीन के साथ सीमाओं को लेकर तनाव व नेपाल के साथ चल रहा नक्शा विवाद। भारत और चीन हालांकि बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने के दावे कर रहे हैं लेकिन नेपाल के दोगले रवेये से भारत का गुस्सा अब बढ़ता जा रहा है। पिछले महीने भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर नेपाल ने इतना कड़ा रुख अपना लिया था कि अपने देश का नया नक्शा ही जारी कर डाला। प्रधानमंत्री ओली ने इस दौरान पार्टी में अपने खिलाफ खड़े लोगों और विपक्षी दलों, दोनों को साथ मिला लिया और इस नक्शे को पारित करने के लिए एकजुटता दिखने लगी। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो न्राल के प्रधानमंत्रा के पी ओल ने जानबूझ कर भारत के साथ पंगा लिया और नक्शा विवाद को तूल दी।

दिलचस्प बात यह है कि एक महीने पहले तक विरोधी खेमा ओली से इस्तीफे की मांग कर रहा था। राजनीतिक गलियारों से आई खबरों के मुताबिक ओली ने भारत के साथ नक्शे का मुद्दे इतनी आक्रामकता से इसलिए उठाया था, ताकि वह अपनी कुर्सी बचा सकें। नेपाल की मीडिया मुताबिक नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी में पुष्प कमल दहल और सीनियर लीडर माधव कुमार नेपाल के खेमे से ओली के इस्तीफे की मांग की जा रही थी लेकिन अब यहां सन्नाटा छाया हुआ है। माधव के एक साथी के मुताबिक देश में हालात गंभीर हैं और ऐसे में पीएम का इस्तीफा मांगना अनैतिक होगा। हालांकि, विरोधी खेमे का साफ कहना है कि इस मांग को खत्म नहीं किया गया है, बजट और नए नक्शे के पारित होने तक के लिए रोक दिया गया है। पोस्ट ने पार्टी के अंदर कई लोगों के हवाले से दावा किया है कि भारत के साथ सीमा विवाद ने ओली को बचा लिया है।

जब देश की संसद में संशोधित नक्शा पारित कराने की बात आई तो सभी दलों के लिए एक साथ आने को छोड़कर कोई और विकल्प नहीं बचा था। नक्शे का मुद्दा क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का था। ऐसे में पीएम के इस्तीफे की मांग करने वाला कोई भी शख्स देश-विरोधी हो जाता है। हालांकि, पार्टी के अंदर के सूत्रों का दावा है कि ओली ने भले ही फिलहाल सबको चुप करा दिया हो, आगे जाकर उन्हें कमजोर आधार का नुकसान उठाना पड़ सकता है। जाने क्या था मामला ? भारत के लिपुलेख में मानसरोवर लिंक बनाने को लेकर नेपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उसका दावा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिपिंयाधुरा उसके क्षेत्र में आते हैं।

नेपाल ने इसके जवाब में अपना नया नक्शा जारी कर दिया जिसमें ये तीनों क्षेत्र उसके अंतर्गत दिखाए गए। इस नक्शे को जब देश की संसद में पारित कराने के लिए संविधान में संशोधन की बात आई तो सभी पार्टियां एक साथ नजर आईं। इस दौरान पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत को लेकर सख्त रवैया अपनाए रखा। हालांकि, नए नक्शे में भारत के इलाकों पर अपना अधिकार जताने के बाद, अब नेपाल बातचीत के लिए तैयार है। उसने भारत से कहा है कि वह विदेश सचिवों के बीच वर्चुअल मीटिंग को भी तैयार है। एक डिप्लोमैटिक नोट में नेपाल सरकार कहती है कि विदेश सचिव आमने-सामने या वर्चुअल मीटिंग में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के मसले पर बात कर सकते हैं।
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