मां का रोना सुन मरे बेटे की आंखों से निकले आंसू, ब्रेन डेड लड़का हुआ जिंदा

Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Jul, 2019 12:40 PM

brain dead boy was alive

18 साल के एक लड़के को अस्पताल ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया और उसका शव परिजनों को सौंप दिया। लड़के के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं। घर में मातम का माहौल था, मां बेटे पर बैठी रो रही थी। तभी अचानक मां की चीत्कार सुनकर मृत घोषित

तेलंगानाः 18 साल के एक लड़के को अस्पताल ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया और उसका शव परिजनों को सौंप दिया। लड़के के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं। घर में मातम का माहौल था, मां बेटे पर बैठी रो रही थी। तभी अचानक मां की चीत्कार सुनकर मृत घोषित किए गए बेटे की आंखों से आंसू बहने लगे। लड़के के घरवालों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। लड़के के परिजनों ने तुरंत डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने लड़के को अस्पताल ले जाने को कहा। तीन दिनों के अंदर वह लड़का काफी हद तक ठीक हो गया है।
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तेलंगाना में सूर्यापेट ज‍िले के प‍िल्लालमैरी गांव में रहने वाले 18 साल के गंधम क‍िरन को 26 जून को बुखार हो गया था, तेज बुखार के बाद उसे उल्टी हो रही थी। जिसके बाद उसे सूर्यापेट के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसकी हालत और बिगड़ने के बाद उसे हैदराबाद के एक न‍िजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां में 3 जुलाई तक कोमा में रहा। उसके बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसका ब्रेन डेड हो गया है और उसना बचना नामुमकिन है। डॉक्टरों ने लड़के के परिजनों को कहा कि उसकी बॉडी को घर ले जानी चाहिए। लेकिन मां का मन नहीं माना और उसने डॉक्टरों को कहा कि उसके बच्चे को जीवन रक्षा उपकरण के साथ ही घर ले जाने दिया जाए।
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घर के अन्य सदस्य लड़के के अंतिम संस्कार की तैयारियां करने लग गए। घर में टेंट लग गया और च‍िता जलाने के ल‍िए लकड़ी की व्यवस्था भी कर ली गई। रात भर परजन लड़के के सिरहाने बैठे रहे और विलाप करते रहे। रात को आखिरी बार मां अपने बेटे को जी-भर के देखने के लिए उसके पास गई और जोर-जोर से रोने लगी। मां के रोने की आवाज सुनकर लड़के की आंखों में भी आंसू आ गए। इसके बाद एक स्थानीय डॉक्टर जी. राजाबाबू रेड्डी को बुलाया गया। उन्होंने लड़के की नब्ज चेक की तो वह चल रही थी। लड़के को वापिस सूर्यापेट अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने हैदराबाद के डॉक्टरों को फोन करके सारी बात बताई। वहां के डॉक्टरों ने डॉ रेड्डी को तुरंत लड़के को चार इंजेक्शनों का डोज लगाने को कहा। जिसके बाद लड़की की हालत धीरे-धीरे ठीक होने लगी। लड़का अब धीमी आवाज में बात भी करने लगा है।

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