Brexit: ब्रिटेन-यूरोपीय यूनियन में हो गया 'तलाक', जानें भारत पर क्या पड़ेगा असर ?

Edited By Tanuja,Updated: 30 Jan, 2020 12:40 PM

brexit how does it affect india and the world

यूरोपीय यूनियन (EU) संसद द्वारा बुधवार को ब्रेक्जिट समझौते को मंजूरी देने के बाद अब 31 जनवरी को ब्रिटेन और यूरोपीय संघ अलग हो जाएं...

लंदनः यूरोपीय यूनियन (EU) संसद द्वारा बुधवार को ब्रेक्जिट समझौते को मंजूरी देने के बाद अब 31 जनवरी को ब्रिटेन और यूरोपीय संघ अलग हो जाएंगे। चार साल तक चली जद्दोजहद के बाद बुधवार को यूरोपीय यूनियन संसद ने 49 के मुकाबले 621 मतों के बहुमत से ब्रेक्जिट समझौते पर मोहर लगते ही आखिर UK-EU में 'तलाक' हो गया। इस समझौते पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले साल के अंत में ईयू के 27 अन्य नेताओं के साथ वार्ता के बाद अंतिम रूप दिया था । 31 जनवरी को रात 11 बजे  ब्रिटेन ईयू से अलग हो जाएगा।  ब्रेक्जिट समझौते पर यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद के शीर्ष अधिकारियों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर हो चुके हैं। इस समझौते का असर कई देशों पर पड़ने वाला है जिनमें भारत का नाम भी शामिल है।

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जानें क्या है ब्रेक्जिट और भारत पर क्या पड़ेगा असर
ब्रिटेन ने जून-2016 में हुए जनमत संग्रह में ब्रेक्जिट को मंजूरी दी थी। हालांकि, ब्रिटेन अभी इस साल के आखिर तक EU की आर्थिक व्यवस्था में बना रहेगा, लेकिन उसका नीतिगत मामलों कोई दखल नहीं होगा और न ही वह EUका सदस्य रह जाएगा। यूरोपीय यूनियन की GDP में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 18 फीसदी है।

  • भारत के विकास के लिए यूरोप और ब्रिटेन दोनों ही अहम हैं। यूरोप और ब्रिटेन को निर्यात से भारत को काफी विदेशी मुद्रा मिलती है।
  • यूके के अंतरराष्ट्रीय कारोबार विभाग (डीआईटी) के अनुसार, साल 2017 में भारत और यूके के बीच कुल 18 अरब पाउंड का कारोबार हुआ, जो साल 2016 से 15 फीसदी अधिक है।
  • भारतीय कंपनियों में आए बड़े बदलावों ने वैश्विक स्तर पर कारोबार की परिभाषा बदल दी है। भारत यूके में निवेश करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है।
  • इसके अलावा द्विपक्षीय व्यापर करने वाले देशों की गिनती में ब्रिटेन 12वें नबर पर आता है। ब्रिटेन उन 25 देशों में 7वें नंबर पर आता है जिनसे भारत सामान लेता कम है और वहां भेजता ज्यादा है।
  • एक्सपर्ट्स के अनुसार ब्रिटेन में 800 से ज्यादा भारतीय कंपनियां हैं, जो 1,10,000 लोगों को रोजगार देती हैं।
  • इनमें से आधे से अधिक लोग केवल टाटा समूह की ही पांच कंपनियों में काम करते हैं।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन की करेंसी पाउंड में गिरावट की आशंका है। ऐसे में जो भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन से अपने कारोबार कर रही हैं, के मुनाफे पर इसका बुरा असर पड़ना तय है।
  • एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल का कहना हैं कि ब्रेक्जिट से भारत को फायदा होगा। ब्रिटेन के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता हो सकता है और इससे ब्रिटेन के साथ भारत का ट्रेड बढ़ेगा।खासतौर से अपैरल इंडस्ट्री का निर्यात बढ़ेगा।
  • उन्होंने कहा कि ब्रिटेन एक छोटा देश है, लेकिन वह एक सेंट्रल मार्केट है. पुर्तगाल और ग्रीस जैसे कई देश वहां से सामान ले जाते हैं। इसलिए ब्रिटेन के साथ एफटीए होने से भारत को एक विशाल बाजार मिलेगा।
  •  यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए की कोशिश हो रही थी, लेकिन वह नहीं हो सकी  इसलिए ब्रिटेन के ईयू से अलग होने से भारत को लाभ होगा।

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ब्रेक्जिट से भारतीय कंपनियों की बढ़ सकती है टेंशन
VM पोर्टफोलियो के रिसर्च हेड विवेक मित्तल का कहना हैं कि ब्रेक्जिट से भारतीय कंपनियों की टेंशन बढ़ सकती हैं। क्योंकि एक बड़ी समस्या तब पैदा होगी जब यूरोप के देश अपने रास्ते ब्रिटेन के लोगों के लिए बंद कर लेंगे। अब तक तो यूरोप में रह रहे लोग एक दूसरे देश में बिना किसी रुकावट, बॉर्डर या वीजा के जा रहे थे। अगर यूरोप ने नए नियम ला दिए तो भारतीय कंपनियों को यूरोप में घुसने के नए रास्ते बनाने होंगे। ऐसे में ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने के बाद यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे। इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग अलग नियम-कानून से जूझना होगा। 

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इन भारतीय कंपनियों पर होगा असर
भारतीय कंपनियां दुनिया की बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण कर तेजी से विदेशों में विस्तार कर रही हैं। मौजूदा समय में भारतीय कंपनियों का यूरोप की तुलना में यूके को निर्यात अधिक होता हैं। ऐसे में इन कंपनियों का कारोबार यूरोप और यूके के बीच के कारोबारी रिश्ते पर निर्भर करता है। इन कंपनियों में टाटा मोटर्स (जगुआर लैंड रोवर), टाटा स्टील, टीसीएस, हिंडाल्को, मदरसन सुमी, भारत फोर्ज, भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा, सीमेंस फार्मा, बीएएसएफ और अरबिंदो फार्मा शामिल हैं। ऐसे में अब इन कंपनियों को अपनी रणनीतियां बदलनी होंगी।

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भारत निभाएगा निवेश में अहम भूमिका
रेटिंग एजेंसी बैंक ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन दोनों ही इस प्रक्रिया में घाटे में रह सकते हैं। दोनों को ही एक दूसरे के ऑप्शन की जरूरत होगी. यहां भारत अहम भूमिका निभा सकता है। भारत टेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा, डिफेंस और फाइनेंस में बड़ा भागीदार बन सकता है। निवेश के लिहाज से भी भारत की भूमिका अहम होगी।

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