जन्मदिन विशेषः ठंडी पड़ चुकी यूपी की राजनीति में मायावती फिर फूंक रहीं हैं जान

Edited By Anil dev,Updated: 15 Jan, 2019 05:30 PM

bsp mayawati dalit lucknow

पिछले कई सालों से भले ही दलित राजनीति में नए विकल्प देश के अलग-अलग कोने में उभरें हों लेकिन बीएसपी सुप्रीमो मायावती की जगह कोई नहीं ले पाया है। दलित राजनीति के नए चेहरे भी मायावती से सीधे टकराने से कतराते हैं फिर चाहे चंद्रशेखर आजाद हों या फिर...

नई दिल्ली: पिछले कई सालों से भले ही दलित राजनीति में नए विकल्प देश के अलग-अलग कोने में उभरें हों लेकिन बीएसपी सुप्रीमो मायावती की जगह कोई नहीं ले पाया है। दलित राजनीति के नए चेहरे भी मायावती से सीधे टकराने से कतराते हैं फिर चाहे चंद्रशेखर आजाद हों या फिर जिग्नेश मेवानी। आज मायावती का जन्मदिन है। 

चर्चा में फिर एक बार
आज की तारीख में भले ही मायावती करारी हार का सामना करके विपक्ष में बैठी हों लेकिन राजनीतिक गलियारों में उनकी चर्चा के बगैर हर कहानी अधूरी ही रहती है। पिछले कुछ दिनों से आगामी चुनावों में सपा के साथ गठबंधन की बयार के साथ मायावती एक बार फिर चर्चा में हैं। मायावती 15 जनवरी 1956 को एक हिंदू दलित परिवार में पैदा हुई थीं। पिता प्रभु दास और माता रामरति देवी की 8 संतानों में से एक मायावती राजनीति में प्रवेश करने से पहले बीए, बीएड और लॉ की डिग्री के साथ दिल्ली में एक स्कूल में टीचिंग करती थीं।

Navodayatimes

 

भारतीय राजनीति में एक 'अपवाद'
शुरुआती दिनों में कांशीराम ने इन्हें मेंटर के तौर पर सरंक्षण दिया लेकिन बाद में बसपा की कमान पूरी तौर पर सौंप दी। मायावती भारतीय राजनीति में महिलाओं की स्थिति में एक अपवाद के तौर पर हैं। कई बार उनके प्रधानमंत्री बनने के सपने को उपहास के तौर पर देखा जाता है लेकिन सच ये हैं कि शायद मजाक उड़ाने वालों के लिए इससे ज्यादा खौफनाक कुछ नहीं होगा कि दलितों की राजनीति करने वाली मायावती पीएम पद पर बैठ जाएं और यहीं खौफ मायावती की असली ताकत है। 

Navodayatimes

अपमान को भुला, लिया राजनीतिक कदम
जीत के लिए समर्थन से ज्यादा जोड़-तोड़ का भी साथ लेती रही हैं और इस क्रम में इस बार बरसों की कड़वाहट और दुश्मनी को भुलाकर मायावती समाजवादी पार्टी के साथ 2019 का चुनाव उत्तर प्रदेश में लड़ने वाली हैं। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी की दुश्मनी को डिफाइन करने वाला एकलौता कांड है गेस्टहाउस कांड जिसमें 1975 में मायावती के समर्थन वापसी के बाद जब मुलायम सरकार संकट में आ गई तो सत्ता में काबिज रहने के लिए जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हुई। नाराज सपा कार्यकर्ता और विधायकों ने लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्टहाउस पहुंच गए, जहां मायावती ठहरी हुईं थीं। कहा जाता है कि उस दिन गेस्ट हाउस के कमरे में बंद बसपा सुप्रीमो के साथ कुछ गुंडों ने बदसलूकी की। बसपा का कहना है कि सपा के लोगों ने उस वक्त मायावती के साथ धक्का मुक्की की और फिर मुकदमा भी लिखवाया गया जिसमें कहा गया कि वो लोग उन्हें जान से मारना चाहते थे। इसी कांड को गेस्टहाउस कांड कहा जाता है।

Navodayatimes

बेखौफ और बेबाक
मायावती ने निजी जीवन में भी बिना शादी के और परिवार की ना इच्छा रखते हुए राजनीतिक जीवन को ही सबकुछ समर्पित कर दिया। भारतीय रुढ़िवादी समाज में इस फैसले को किसी तरह भी देखा जा सकता है लेकिन सच ये है कि इस फैसले को लेने के लिए ताकत, हिम्मत और निडरता बहुत जरुरी है। उनके जीवन में विकल्प और भी हो सकते थे लेकिन राजनीतिक अकांक्षाएं सब पर भारी पड़ीं। 

Navodayatimes

देखा है पीएम बनने का सपना
बहरहाल मायावती ने उस काली रात को भुलाकर मुलायम के पुत्र और पूर्व यूपी सीएम के साथ हाथ मिला लिया हैं और साथ चुनाव लड़ने जा रही हैं। सुगबुगाहट ये भी है कि मायावती को पीएम पद का उम्मदीवार घोषित किया जा सकता है। फिलहाल ये दूर की कौड़ी है और खबर में कितनी सच्चाई है इसके लिए वक्त का इंतेजार करना होगा। लेकिन एक बात तो साफ है एक अपवाद के तौर पर मायावती के राजनीतिक और निजी संघर्षों को झुठलाना और बेकार बताना बहुत बचकाना लगेगा। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!