भारत के इतिहास में 3 ऐसे मौके आए जब वित्त मंत्री नहीं PM ने खुद पेश किया बजट

Edited By Anil dev,Updated: 01 Feb, 2019 12:24 PM

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सालभर का बजट पेश करना एक वित्त मंत्री के लिए बड़े गर्व की बात होती है। बीमारी के चलते अरुण जेटली की जगह इस बार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल बजट पेश करेंगे। अरुण जेटली के बीमार होने के कारण फिलहाल वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार पीयूष गोयल के पास है।

नई दिल्ली: सालभर का बजट पेश करना एक वित्त मंत्री के लिए बड़े गर्व की बात होती है। बीमारी के चलते अरुण जेटली की जगह इस बार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल बजट पेश करेंगे। अरुण जेटली के बीमार होने के कारण फिलहाल वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार पीयूष गोयल के पास है। ऐसा पहली बार नहीं है जब नियमित वित्त मंत्री नहीं होने पर किसी अन्य पोर्टफोलियो के मंत्री ने बजट पेश किया हो। आजादी के बाद से भारत के इतिहास में ऐसे भी मौके आए जब खुद प्रधानमंत्री को बजट पेश करना पड़ा। आइये डालते हैं एक नजर।

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1958-59 में जवाहरलाल नेहरू ने पेश किया बजट
1958-59 का बजट खुद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पेश करना पड़ा था। उस वक्त वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो भी उनके पास था। ये बजट इतिहास को बदलने वाला बजट था। आमतौर पर बजट से अलग होते हुए उस समय नेहरू ने डायरेक्‍ट टैक्‍स के तहत पहली बार गिफ्ट पर टैक्‍स का प्रावधान पेश किया। इसे गिफ्ट टैक्स कहा गया।
 

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1970-71 में इंदिरा गांधी ने पेश किया बजट
इसके बाद 1970-71 में भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया था। उस समय वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद वित्‍त मंत्री का पोर्टफोलियो इंदिरा गांधी ने संभाला था। इस बजट में इनडायरेक्ट टैक्स का बड़ा फैसला लिया गया था। जिसमें सिगरेट पर 3 फीसदी ड्यूटी बढ़ाकर सीधा 22 फीसदी की गई। इसके अलावा डायरेक्‍ट टैक्‍स में इंदिरा गांधी गिफ्ट टैक्‍स के लिए संपत्ति की वैल्‍यू की अधिकतम 10,000 रुपए की लिमिट घटाकर 5,000 रुपए कर दी।

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1987-88 में फिर राजीव गांधी ने पेश किया बजट
राजीव गांधी सरकार में तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री वीपी सिंह के सरकार से बाहर होने के बाद राजीव गांधी ने वित्‍त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और 1987-88 का बजट पेश किया था। इसमें बजट में देश में पहली बार मिनिमम कॉरपोरेट टैक्‍स का प्रस्‍ताव पेश किया। जिसे अभी मैट के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा राजीव गांधी ने विदेशी यात्रा के लिए भारत में जारी होने वाले फॉरेन एक्‍सचेंज पर 15 फीसदी की दर से टैक्‍स लगाने का प्रावधान किया।

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