Budget Session: किसानों के मुद्दे पर चर्चा, BJP सांसद बोले- आंदोलन को एक और शाहीन बाग मत बनने दो

Edited By vasudha,Updated: 03 Feb, 2021 04:34 PM

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लोकसभा और राज्यसभा में बजट सत्र जारी है। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विवादों में घिरे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू हो गया। संसद सत्र की कार्यवाही से जुड़ी हर...

नेशनल डेस्क: नेशनल डेस्क: राज्यसभा में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने विवादों में घिरे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए बुधवार को सरकार को नसीहत दी कि इस विषय को ‘‘प्रतिष्ठा का प्रश्न'' नहीं बनाया जाना चाहिए। हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि बातचीत के द्वार खुले हुए हैं तथा यह मामला एक और शाहीन बाग नहीं बने। उच्च सदन में बु राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर हुई चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर अपनी राय विस्तार से रखी। इस मामले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच बनी सहमति के बाद उच्च सदन में इस चर्चा के समय को 10 घंटे से बढ़ाकर 15 घंटे करने के निर्णय की घोषणा सभापति एम वेंकैया नायडू ने की ताकि सदस्यों को किसान से जुड़े मुद्दे उठाने का समुचित समय मिल सके। 

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 राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बर्दास्त नहीं: आजाद 
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किले में हुयी हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए किंतु ‘‘निर्दोष किसानों को निशाना'' नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाए बिना नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वयं इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए। उस समय प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे। इसके साथ ही आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलना चाहिए और वहां विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्व की स्थिति में ही वहां विकास हो सकता है। 
 

जमाने से किसानों का संघर्ष होते रहा है: आजाद 
आजाद ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने से किसानों का संघर्ष होते रहा है और सभी सरकारों को किसान विरोधी कानून वापस लेने पड़े हैं। उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए 175 किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सैंकड़ों साल से किसान संघर्ष कर रहे हैं। 1906 में अंग्रेजी सरकार ने किसानों के खिलाफ तीन कानून बनाए थे और उनका मालिकाना हक ले लिया गया था।  1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नील की खेती के खिलाफ चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व किया था बाद में अंग्रेजी सरकार ने नील की खेती बंद करने की घोषणा की। 1918 में गुजरात में किसानों पर कर को लेकर के पूरे आंदोलन का नेतृत्व सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था, बाद में इस कर को समाप्त कर दिया गया। वर्ष 1988 में कांग्रेस ने किसानों के मुद्दे को लेकर के दिल्ली के वोट क्लब पर एक रैली का आयोजन किया था लेकिन रैली के आयोजन से पहले वोट क्लब पर किसानों के एक समूह के आ जाने के कारण उसने अपने रैली स्थल बदलकर लाल किला कर दिया था। उन्होंने कहा कि किसानों के बगैर कुछ भी नहीं सोचा जा सकता है। यह न केवल 130 करोड़ लोगों के अन्नदाता हैं बल्कि दुनियाभर के लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराते हैं। 

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गुम हुए लोगों का भी उठा मुद्दा
आजाद ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर सदन में हुयी चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि वह सरकार से इन कानूनों को वापस लेने का आग्रह करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान गुम हो गए लोगों का पता लगाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। आजाद ने 26 जनवरी को हुयी हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बेहद निंदनीय है और पूरा विपक्ष उसकी निंदा करता है और यह लोकतंत्र के खिलाफ है।  उन्होंने किसानों को देश की सबसे बड़ी ताकत करार देते हुए कहा कि किसान अंग्रेजों के जमाने से संघर्ष करते रहे हैं और हर बार उन्होंने शासन को झुकने के लिए मजबूर किया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कुछ पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किए जाने का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि जो व्यक्ति देश का पूर्व विदेश राज्य मंत्री रह चुका हो तथा विश्व में देश का नेतृत्व कर चुका हो, जिसे लोगों ने लोकसभा के लिए चुना हो, वह व्यक्ति देशद्रोही कैसे हो सकता है।
 

‘कृषि कानूनों को रद्द करो' के लगे नारे 
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने शून्यकाल काल के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा कराने प्रयास किया तो आप के संजय सिंह, सुशील कुमार गुप्ता और एन.डी. तिवारी अपनी सीटों पर खड़े होकर नारे लगाने लगे। उन्होंने ‘कृषि कानूनों को रद्द करो' के नारे लगाए। नायडू ने कहा कि अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ही किसानों के मुद्दे पर बहस करने की सहमति बन चुकी है। ऐसे में इन सदस्यों का सदन की कार्यवाही को बाधित करना अनुचित है। ये लोग वास्तव में किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने तीनों सदस्यों से शांत होने और सदन की कार्यवाही चलने देने का अनुरोध किया, लेकिन इस पर भी तीनों सांसद नारे लगाते रहे। इसके बाद नायडू ने तीनों सांसदों को नियम 255 के तहत सदन की कार्यवाही से बाहर करने की चेतावनी दी लेकिन सदस्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वे नारे लगाते रहे। इस पर सभापति ने कहा कि इन तीनों सदस्यों को सदन की कार्यवाही से दिनभर के लिए बाहर कर रहे हैं और उन्होंने तीनों सदस्यों को दिन भर के लिए सदन से बाहर जाने का आदेश दिया।

 

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सरकार ने किसानों को दिए नए अधिकार: भाजपा सांसद 
 इससे पहले भाजपा सांसद भुवनेश्वर कालिता ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। भाजपा के विजयपाल सिंह तोमर ने प्रस्ताव का समर्थन किया। कालिता ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद पेश करते हुए कहा कि सरकार किसानों का सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के जरिए सरकार ने किसानों को नए अधिकार दिए हैं और उनकी कोई भी सुविधा छीनी नहीं गई है। सदन की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश कर रहे विपक्षी सदस्यों पर निशाना साधते हुए कालिता ने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि तीनों कानून संसद के दोनों सदनों द्वारा चर्चा के बाद पारित किए गए थे। इन महत्वपूर्ण कृषि कानूनों का लाभ करोड़ों लोगों और छोटे किसानों तक पहुंचने लगा है। कालिता ने कहा कि विपक्षी सदस्य सदन को बाधित करने के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं लेकिन "हम अपने किसानों का काफी सम्मान करते हैं।'' उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल किसानों के साथ बातचीत कर रहे हैं और कई दौर की चर्चा हो चुकी है। 

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आंदोलन को एक और शाहीन बाग मत बनाओ 
कालिता ने कहा कि चर्चा के लिए किसानों की खातिर दरवाजे हमेशा खुले हैं ताकि कृषि कानूनों के इस मुद्दे को सौहार्दपूर्वक हल किया जा सके। सरकार इस संबंध में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन उनकी लोगों से अपील है कि इसे एक और शाहीन बाग नहीं बनाएं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में शाहीन बाग संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का प्रमुख केंद्र था। भाजपा सदस्य विजयपाल सिंह तोमर ने धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पहले उत्पादन बढ़ाए जाने पर जोर था लेकिन अब किसानों को लाभ देने पर जोर है। फसलों के खेतों से ग्राहकों तक पहुंचने के दौरान बड़ी राशि बिचौलियों के हाथों में चली जाती है। नए कानूनों से ऐसी स्थिति में कमी आएगी और किसानों को अपनी फसलों की बेहतर कीमत मिल सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार समाज के वंचित वर्गों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सरकार अपने वादों को पूरी तरह से लागू करने में विश्वास करती है। 


कृषि कानूनों से छोटे किसानों को मिलेगी मदद: तोमर 
कालिता ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) वसूली में वृद्धि हो रही है क्योंकि सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के कारण अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। भाजपा सदस्य तोमर ने कहा कि कृषि कानून व्यापक विचार-विमर्श के बाद पारित किए गए और कृषि सुधारों को लेकर पिछले दो दशकों में विशेषज्ञों की कई समितियां बनी हैं। उन्होंने कृषि कानूनों की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों से छोटे किसानों और कृषि क्षेत्र को मदद मिलेगी। विपक्षी सदस्यों ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर विभिन्न संशोधन प्रस्ताव दिए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में 29 जनवरी को अभिभाषण दिया था। 
 

 

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