Edited By Yaspal,Updated: 23 Dec, 2018 11:31 PM
नए साल के आगाज में कुछ ही दिन शेष हैं। एक हफ्ते बाद 2018 को हमेशा के लिए अलविदा कह देंगे। इससे पहले कि हम इस साल को अलविदा कहें। एक नजर डालते हैं, इस साल के उन सभी खास फैसलों पर जो इस साल देश की शीर्ष अदालत ने...
नेशनल डेस्कः नए साल के आगाज में कुछ ही दिन शेष हैं। एक हफ्ते बाद 2018 को हमेशा के लिए अलविदा कह देंगे। इससे पहले कि हम इस साल को अलविदा कहें। एक नजर डालते हैं, इस साल के उन सभी खास फैसलों पर जो इस साल देश की शीर्ष अदालत ने सुनाए और लोगों की जिंदगी बदल दी।
वैसे तो यह साल कई मायनों में बेहद खास रहा। लेकिन कुछ चीजें ऐसी हुईं, जिनकी वजह से ये साल इतिहास में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गया। दरअसल, इस साल सुप्रीम कोर्ट की ओर से कुछ ऐसे एतिहासिक फैसले लिए गए, जिन्होंने कई लोगों की जिंदगी को बदलकर रख दिया।
क्या थे वो फैसले, आईए जानते हैं।
06 सितंबर 2018: ये वहीं दिन था, जिसका कई वर्षों से एलजीबीटी पर फैसला आना था, सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 157 साल पुराने कानून को पलटते हुए IPC की धारा 377 को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया। यानी समलैंगिक संबंध रखना अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया। समलैंगिक संबंध रखना अब अपराध नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला समलैंगिकों को राहत देने वाला था, जिसका विदेशों में भी स्वागत किया गया।
इस ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धारा 377 के वे कुछ हिस्से, जो सहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाने का अपराध मानते हैं, मूर्खतापूर्ण और साफ तौर पर एकपक्षीय हैं। इस तरह इस फैसले से भारत दुनिया का 126वां देश बन गया। जहां समलैंगिकता अब कानूनी तौर पर मान्य है। अदालत के इस फैसले के बाद देश और दुनिया में हर जगह, मानवाधिकार कार्यकर्ता, सेलिब्रिटी और समलैंगिक लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई और सब ने जमकर जश्न मनाया।
26 सिंतबर 2018: सितंबर महीने में ही सुप्रीम कोर्ट ने एक और फैसला लिया था, जिसमें कोर्ट ने आधार को संवैधानिक तरीके से वैध बताया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी बताया था कि आधार केवल वहीं अनिवार्य होगा, जहां इसकी जरूरत होगी। जहां आधार के अलावा भी काम चल सकता है। वहां आधार देना अनिवार्य नहीं होगा।
शीर्ष अदालत का ये फैसला इसलिए भी जरूरी था क्योंकि इस फैसले से पहले आधार की अनिवार्यता को लेकर काफी बहस हुई थी। इतना ही नहीं इससे लोगों के प्राइवेट डेटा के चोरी होने का खतरा भी बना रहता था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से काफी लोगों ने राहत की सांस ली।
27 सितंबर 2018: आधार कार्ड अनिवार्यता के मामले में फैसले के ठीक एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक और बड़ा फैसला लिया, जिसमें एडल्ट्री की धारा 497 को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया। एडल्ट्री पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा था कि ये कोई अपराध नहीं है। भारतीय दंड संहिता की धारा 497 (एडल्ट्री) असंवैधानिक है, जब तक की ये आत्महत्या की वजहों का कारण न बने।
इस फैसले से पहले 150 साल पुराना कानून धारा 497 उस पुरुष को अपराधी मानता था, जिसके किसी और की पत्नी के साथ संबंध हैं। पत्नी को इसमें अपराधी नहीं माना जाता था। इस धारा के तहत दोषी पाए आदमी को पांच साल जेल का सामना करना पड़ता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के बाद ऐसे मामलों में अब न पुरुष को कोई सजा होगी न महिला को।
28 सितंबर 2018: सितंबर महीने का में ही सुप्रीम कोर्ट ने एक और ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने इस फैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी। इससे पहले मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध आज तक हो रहा है। लेकिन इस फैसले से उन सभी महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गई, जो हमेशा से भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए मंदिर जाना चाहती हैं।