ISRO की अब और ऊंची होगी उड़ान, कैबिनेट ने इस बजट पर ​लगाई मुहर

Edited By vasudha,Updated: 07 Jun, 2018 02:43 PM

cabinet approved on budget of isro

भारतीय स्पेस प्रोग्राम को अब नई ताकत मिलने जा रही है। भारत सरकार ने पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और भू-समकालिक (जिओसिंक्रोनस) उपग्रह प्रक्षेपण वाहन मार्क -3 कार्यक्रमों को जारी रखने को मंजूरी दे दी है...

नेशनल डेस्क: भारतीय स्पेस प्रोग्राम को अब नई ताकत मिलने जा रही है। भारत सरकार ने पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और भू-समकालिक (जिओसिंक्रोनस) उपग्रह प्रक्षेपण वाहन मार्क -3 कार्यक्रमों को जारी रखने को मंजूरी दे दी है। जिस पर 10,911 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो के सबसे वजनी रॉकेट GSLV Mk III के 10 लॉन्चेज के लिए 4,338 करोड़ रुपये कैबिनेट ने अप्रूव किए हैं। इसकी मदद से चार टन से ज्यादा वजनी सैटलाइट्स को लॉन्च कर सकेंगे।
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स्पेस टेक्नॉलजी में बड़ा कदम
पीएसएलवी कार्यक्रम जारी रखने के छठे चरण के दौरान भारतीय उद्योग की भागीदारी से प्रतिवर्ष आठ प्रक्षेपण करने की सेटेलाइट प्रक्षेपण की मांग पूरी होगी। 2019-2024 की अवधि के दौरान सभी परिचालन अभियान संपन्‍न हो जाएंगे। केंद्रीय मंत्री के अनुसार यह स्पेस टेक्नॉलजी में एक बड़ा कदम होगा और इसके बाद वजनी सैटलाइट्स लॉन्च करने के लिए हमें विदेशी स्पेसपोर्ट्स पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि GSLV Mk III प्रोग्राम बीते तीन से चार वर्षों में मोदी सरकार के नेतृत्व में बना है। यह मेक इन इंडिया प्रोग्राम से जुड़ा है।

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चंद्रयान-2 को लॉन्च करने की तैयारी 
जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस प्रोग्राम की मदद से इसरो न सिर्फ छोटी विदेशी सैटलाइट्स बल्कि चार टन से ज्यादा वजनी सैटलाइट्स को भी लॉन्च करने में सक्षम हो जाएगा। कैबिनेट ने 30 पीएसएलवी रॉकेट्स लॉन्च करने के लिए भी अनुमति दे दी है। उन्होंने बताया कि स्पेस मिशन के अलावा भारत अक्टूबर से नवंबर के बीच चंद्रयान-2 को लॉन्च करने की तैयारी में है। यह भारत के लिए स्पेस प्रोग्राम में एक बड़ी उपलब्धि होगी। 

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आम आदमी को भी होगा फायदा
इसरो चेयरमैन के सिवान ने बताया कि यह इसरो के लिए खुशनुमा पल है। पीएसएलवी और जीएसएलवी रॉकेट लॉन्चेज के लिए कैबिन के अप्रूवल हमें और हमारे स्पेस प्रोग्राम्स को नई ताकत देगा। कम्यूनिकेशन, अर्थ आॅब्जर्वेशन और नैविगेशन आदि एरियाज में सैटलाइट लॉन्चेज की संख्या बढ़ने से न सिर्फ इसरो को बल्कि आम आदमी को भी फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि 40 रॉकेट्स के लिए भी वित्तीय मंजूरी लाइनअप में है। 

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