इतिहास में पहली बार वर्तमान जज को मिली 6 महीने की सजा

Edited By ,Updated: 09 May, 2017 12:47 PM

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विवादों से घिरे कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार देते हुए 6 महीने कैद की सजा सुनाई है। इतिहास में पहली बार किसी वर्तमान जज के खिलाफ इस प्रकार की कारवाई की गई है।

नई दिल्ली: विवादों से घिरे कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार देते हुए 6 महीने कैद की सजा सुनाई है। जस्टिस कर्णन भारतीय जुडिशल सिस्टम के इतिहास में पहले ऐसे जज होंगे, जिन्हें पद पर रहने के दौरान जेल भेजे जाने का आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आदेश का तुरंत पालन हो। सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में जस्टिस कर्णन के बयानों को मीडिया में प्रकाशित किए जाने पर भी रोक लगा दी है। 

सी एस कर्णन ने की न्यायालय की अवमानना की
 प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी का सर्वसम्मति से यह मानना है कि न्यायाधीश सी एस कर्णन ने न्यायालय की अवमानना की, न्यायपालिका की और उसकी प्रक्रिया की अवमानना की।’’  न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ ने कहा कि वह न्यायाधीश कर्णन को छह माह की जेल की सजा सुनाए जाने से संतुष्ट है।  पीठ ने कहा, ‘‘सजा का पालन किया जाए और उन्हें तुरंत हिरासत में लिया जाए।’’  

कई न्यायाधीशों के खिलाफ लगा चुके हैं भ्रष्टाचार का आरोप
इससे पहले कर्णन शीर्ष अदालत के कई न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं। इसके साथ ही वो अदालत की अवमानना और न्याय प्रणाली की छवि धूमिल करने के आरोप झेल रहे हैं। अब इस मामले में जस्टिस कर्णन ने आठों न्यायाधीशों को एक 'दलित न्यायाधीश' (खुद कर्णन) को 'समान मंशा' से प्रताडि़त करने का दोषी ठहराया है। 

कर्णन ने सात जजों को सुनाई थी पांच साल जेल की सजा
वहीं सीएस कर्णन ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जेएस खेहर समेत सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। उन्होंने सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के छह जजों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 के तहत दोषी पाए जाने की बात कहते हुए फैसला सुनाया था। 

 

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