Edited By shukdev,Updated: 03 Dec, 2019 09:40 PM
कर्नाटक में पांच दिसंबर को 15 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार मंगलवार को थम गया। इस उपचुनाव से भाजपा सरकार का भविष्य तय होगा। उपचुनाव में जीत के लिए राजनीतिक पार्टियों ने मतदाताओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी ...
बेंगलुरु : कर्नाटक में पांच दिसंबर को 15 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार मंगलवार को थम गया। इस उपचुनाव से भाजपा सरकार का भविष्य तय होगा। उपचुनाव में जीत के लिए राजनीतिक पार्टियों ने मतदाताओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। एक ओर भाजपा जहां ‘स्थायित्व' के नाम पर वोट मांग रही है वहीं कांग्रेस और जद(एस) ने उन अयोग्य विधायकों को पराजित करने की मांग की जिनकी वजह से उनकी गठबंधन की सरकार गिर गई थी। अब ये सदस्य सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार हैं। भाजपा के चुनाव प्रचार की कमान मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने संभाली वहीं कांग्रेस की चुनाव प्रचार की कमान सीएलपी नेता सिद्धरमैया ने संभाली। जद(एस) की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने चुनाव प्रचार किया वहीं उनके पिता एच डी देवगौड़ा ने कुछ विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार किया।
भाजपा को अपनी सरकार बचाने के लिए कम से कम छह सीटें जीतनी होगी। पार्टी की जीत के लिए येदियुरप्पा ने सभी 15 विधानसभा क्षेत्रों में दो-दो बार चुनाव प्रचार किया,वहीं उनके मंत्रियों ने उन स्थानों में प्रचार किया जहां का उन्हें प्रभारी नियुक्त किया गया था। येदियुरप्पा ने मंगलवार को सभी 15 सीटों पर जीत का विश्वास जताते हुए कहा कि राज्य में स्थिर सरकार होगी और वह फरवरी में किसान समर्थक बजट पेश करेंगे। जिन 15 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 12 कांग्रेस के पास और तीन जद(एस) के पास थीं। विधायकों के विद्रोह से गठबंधन सरकार गिर गई थी।