अदालत ने पूछा, क्या आपराधिक मामलों में सोशल मीडिया कंपनी को आरोपी बनाया जा सकता है?

Edited By Yaspal,Updated: 21 Jan, 2022 07:06 PM

can a social media company be made an accused in criminal cases

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने सरकार और वकीलों से जानना चाहा है कि क्या सोशल मीडिया कंपनी को आपराधिक मामलों में आरोपी या अपराध के लिए भड़काने का आरोपी बनाया जा सकता है। अदालत ने यह सवाल अपराध को अंजाम देने में सोशल मीडिया के दुरुपयोग जिनमें...

नेशनल डेस्कः मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने सरकार और वकीलों से जानना चाहा है कि क्या सोशल मीडिया कंपनी को आपराधिक मामलों में आरोपी या अपराध के लिए भड़काने का आरोपी बनाया जा सकता है। अदालत ने यह सवाल अपराध को अंजाम देने में सोशल मीडिया के दुरुपयोग जिनमें बंदूक या बम बनाने का प्रशिक्षण देने जैसे वीडियो की भूमिका सामने आने के मद्देनजर किया। यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग को देखते हुए पीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि क्यों न ऐसे मंचों को आरोपी या अपराध के प्रेरक के तौर पर मामलों से जोड़ा जाए।

यूट्यूबर ए दुरई मुरुगन पांडियान ‘सात्ताई' की जमानत रद्द करने के लिए पुलिस की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की। सात्ताई पर आरोप है कि उसने पिछले साल मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी की थी। न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की एकल पीठ ने टिप्पणी की कि अगर व्यक्ति ऐसे वीडियो देखकर कर अपराध करता है तो सोशल मीडिया मंच अपराध के लिए उकसाने वाला है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या सरकार के पास ऐसे दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई अल्पकालिक प्रणाली है।

न्यायमूर्ति पुगलेंधी ने इसके साथ ही इस मामले में अदालत की सहायता के लिए अधिवक्ता के के रामकृष्णन को न्याय मित्र नियुक्त किया। न्यायमूर्ति पुगलेंधी ने आगे टिप्पणी की कि कई मामलों में आरोपी ने स्वीकार किया है कि उसने यूट्यूब वीडियो देखकर बंदूक बनाने, डकैती करने या अन्य अपराध करना सीखा।

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