क्या भारत-चीन बन सकते हैं दोस्त?, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया यह जवाब

Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Aug, 2020 08:34 AM

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भारत और चीन के बीच इन दिनों रिश्ते काफी तनावपूर्ण बने हुए हुए हैं। ऐसे में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि आकार और प्रभाव को देखते हुए भारत-चीन पर दुनिया का...

नेशनल डेस्कः भारत और चीन के बीच इन दिनों रिश्ते काफी तनावपूर्ण बने हुए हुए हैं। ऐसे में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि आकार और प्रभाव को देखते हुए भारत-चीन पर दुनिया का काफी कुछ निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों का भविष्य ‘‘किसी तरह की समतुल्यता या समझ'' पर पहुंचने पर ही निर्भर करता है। सीआईआई शिखर सम्मेलन में ऑनलाइन वार्ता के दौरान जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच ‘‘समस्याएं'' हैं जो ‘‘अच्छी तरह परिभाषित'' हैं। वह एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या भारत और चीन अगले 10-20 सालों में दोस्त बन सकते हैं जैसे फ्रांस और जर्मनी ने अपने अतीत को छोड़कर नए संबंध स्थापित किए।

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जयशंकर ने सीधा जवाब नहीं दिया बल्कि संक्षिप्त रूप से संबंधों के ऐतिहासिक पहलु बताए। उन्होंने कहा, ‘‘हम चीन के पड़ोसी हैं। चीन दुनिया में पहले से ही दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हम एक दिन तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे। आप तर्क कर सकते हैं कि कब बनेंगे। हम जनसांख्यिकीय रूप से काफी अनूठे देश हैं। हम केवल दो देश हैं जहां की आबादी एक अरब से अधिक है। विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी समस्याएं भी लगभग उसी समय शुरू हुईं जब यूरोपीय समस्याएं शुरू हुई थीं। विदेश मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में दोनों देशों के काफी मजबूत तरीके से उभरने के समय में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से दोनों देशों के बीच किसी तरह की समानता या समझ तक पहुंचना बहुत जरूरी है।

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भारत की विदेश नीति के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि देश उचित एवं समानता वाली दुनिया के लिए प्रयास करेगा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानकों की वकालत नहीं करने से ‘‘जंगल राज'' हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम कानून एवं मानकों पर आधारित विश्व की वकालत नहीं करेंगे तो ‘‘निश्चित रूप से जंगल का कानून होगा।'' विदेश मंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी के संदेशों को अब भी पूरी दुनिया में मान्यता मिलती है। जयशंकर ने कहा कि पहले भले ही सैन्य एवं आर्थिक ताकत वैश्विक शक्ति का प्रतीक होते थे लेकिन अब प्रौद्योगिकी और संपर्क शक्ति और प्रभाव के नए मानक बनते जा रहे हैं।

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