मंदिरों में कनाडाई नेताओं की एंट्री पर लगी रोक, खालिस्‍तानियों के हमले के बाद हिंदू संगठनों का सख्‍त फरमान

Edited By Utsav Singh,Updated: 04 Nov, 2024 08:59 PM

canadian leaders banned from entering temples strict order hindu organizations

कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू मंदिरों पर हमलों के बाद, कैनेडियन नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू (CNCH) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस परिषद ने खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक बड़ा फैसला लिया है।...

इंटरनेशनल डेस्क : कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू मंदिरों पर हमलों के बाद, कैनेडियन नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू (CNCH) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस परिषद ने खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक बड़ा फैसला लिया है।

नेताओं की मंदिरों में एंट्री पर रोक
CNCH ने घोषणा की है कि कनाडा में सभी नेताओं को हिंदू मंदिरों में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती और मंदिरों की सुरक्षा पुख्ता नहीं की जाती। हालांकि, नेताओं को भक्त के रूप में मंदिर में आने की अनुमति होगी।

ब्रैम्पटन में हिंसक घटना
CNCH ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि ब्रैम्पटन में गोर रोड स्थित एक हिंदू मंदिर को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया। इस हिंसक घटना ने कनाडा के हिंदू समुदाय में सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी मंदिर के मुख्य द्वार पर इकट्ठा हुए, परिसर में जबरन घुस गए और मंदिर के सदस्यों पर हमला किया, जिससे समुदाय में हड़कंप मच गया।

हिंदू कनाडाई लोगों को टारगेट
यह हमला विशेष रूप से हिंदू कनाडाई लोगों को निशाना बनाते हुए किया गया है। यह हिंदुओं पर हो रहे खतरनाक हमलों की एक और कड़ी है। हिंदू पूजा स्थलों की सुरक्षा को लेकर बार-बार आवाज उठाई गई है, लेकिन नेताओं ने अभी तक इस बढ़ती दुश्मनी को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

CNCH और हिंदू फेडरेशन का निर्णय
प्रेस रिलीज में कहा गया है कि ब्रैम्पटन में हुई घटना के बाद CNCH और हिंदू फेडरेशन ने मंदिरों और हिंदू वकालत समूहों के साथ मिलकर यह निर्णय लिया है। कनाडा भर में हिंदू मंदिर अब राजनेताओं को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अपनी सुविधाओं का उपयोग नहीं करने देंगे। चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हों, वे भक्त के रूप में आ सकते हैं, लेकिन जब तक वे खालिस्तानी कट्टरपंथ के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक उन्हें मंदिर के चबूतरे तक पहुंच नहीं मिलेगी।

 

 

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