Edited By Pardeep,Updated: 07 Jan, 2021 12:53 AM
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को दावा किया कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा रद्द होना उनके (प्रदर्शनकारी किसानों के) लिए एक ‘‘राजनीतिक जीत'''' और सरकार की ‘‘कूटनीतिक हार
नई दिल्लीः नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को दावा किया कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा रद्द होना उनके (प्रदर्शनकारी किसानों के) लिए एक ‘‘राजनीतिक जीत'' और सरकार की ‘‘कूटनीतिक हार'' है। साथ ही, उन्होंने दावा किया कि उनके प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर समर्थन मिल रहा है।
जॉनसन मुख्य अतिथि के रूप में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने वाले थे, लेकिन उन्होंने ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्वरूप (स्ट्रेन) से संक्रमण के मामले सामने आने के बाद बढ़ते स्वास्थ्य संकट के मद्देनजर अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा, ‘‘ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा रद्द होना किसानों के लिए एक राजनीतिक जीत और (नरेंद्र)मोदी सरकार के लिए कूटनीतिक हार है...दुनियाभर के राजनीतिक एवं सामाजिक संगठन (किसानों के) आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।''
बयान में कहा गया है कि किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने की पहले ही घोषणा की है और इसका ‘‘पूर्वाभ्यास'' सात जनवरी को किया जाएगा। इसमें कहा गया है, ‘‘इन सभी प्रयासों के कारण ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की यात्रा का रद्द होना किसानों के लिए बड़ी जीत है।''
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन से टेलीफोन पर बात हुई। पीएमओ के बयान में कहा गया था, ‘‘(ब्रिटेन के) प्रधानमंत्री जॉनसन ने गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के निमंत्रण के लिये धन्यवाद दिया, लेकिन कोविड-19 के कारण ब्रिटेन में उत्पन्न परिस्थिति के कारण (भारत) आने में असमर्थ रहने को लेकर खेद प्रकट किया।''
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में कहा गया था कि उन्होंने (जॉनसन ने) निकट भविष्य में भारत आने की इच्छा प्रकट की। प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने दावा किया है कि विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से करीब 80 किसानों की मौत हो चुकी है। उन्होंने इन किसानों को ‘‘शहीद'' करर दिया। मोर्चा ने एक बयान में कहा, ‘‘किसान आंदोलन अब जन आंदोलन बन रहा है।''
इस बीच, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने एक बयान में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों की मांग को लेकर ‘‘गंभीर नहीं'' है। उसने कहा, ‘‘केंद्र सरकार वार्ता करने और किसानों की समस्याओं के समाधान को लेकर गंभीर नहीं है। उसने सातवें दौर की वार्ता में आखिरकार स्पष्ट रूप से कहा कि वह (सरकार) समझ गई है कि किसान कानून रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं तथा इसलिए उसे आगे और भी परामर्श करना होगा।''