Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Nov, 2019 12:47 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) 25 नवंबर को कार्टोसैट-3 सैटेलाइट लॉन्च करने की घोषणा की थी लेकिन अब इसकी लॉन्चिंग 27 नवंबर को होगी। इसरो 27 नवंबर को सुबह 9.28 पर कार्टोसैट-3 को दूसरे लॉन्चपैड से अंतरिक्ष में रवाना करेगा और इसके बाद वह दिसंबर...
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) 25 नवंबर को कार्टोसैट-3 सैटेलाइट लॉन्च करने की घोषणा की थी लेकिन अब इसकी लॉन्चिंग 27 नवंबर को होगी। इसरो 27 नवंबर को सुबह 9.28 पर कार्टोसैट-3 को दूसरे लॉन्चपैड से अंतरिक्ष में रवाना करेगा और इसके बाद वह दिसंबर महीने में दो और सर्विलांस सैटेलाइट्स रीसैट-2बीआर1 और रीसैट-2बीआर2 छोड़ेगा। बता दें कि ये सैटलाइट्स बॉर्डर सिक्यॉरिटी के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। भारीतय सीमा पर यह सैटलाइट तीसरी आंख की तरह काम करेंगे। इसके अलावा PSLV 3 प्राइमरी सैटलाइट, दो दर्जन विदेशी नैनो और माइक्रो सैटलाइट भी लेकर जाएगा।
PSLV C-47 रॉकेट को श्रीहरिकोटा से 27 नवंबर को 9 बजकर 28 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। यह PSLV अपने साथ थर्ड जनरेशन की अर्थ इमेजिंग सैटलाइट कार्टोसेट-3 और अमेरिका के 13 कमर्शल सैटलाइट लेकर जाएगा। कार्टसेट-3 को 509 किलोमीटर ऑर्बिट में स्थापित किया जाना है। इसके बाद इसरो दिसंबर में दो और सर्विलांस सैटलाइट लॉन्च करेगा। रीसैट-2बीआर1 और रीसैट2बीआर2, को पीएसएलवीसी48 और सी49 की मदद से लॉन्च किया जाना है। इसरो के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब श्रीहरिकोटा से साल में हुए सभी सैटलाइट लॉन्च सैन्य उद्देश्य से हुए हैं। इससे पहले इसरो ने 22 मई को रीसैट-2बी और 1 अप्रैल को ईएमआईसैट (शत्रु के रेडार पर नजर रखने के लिए बनाई गई सैटलाइट) लॉन्च की गई थी।
हाथ की घड़ी का समय तक देख लेगा कार्टोसैट 3
कार्टोसैट 3 पूर्व के कार्टोसेट 2 से काफी अडवांस्ड है। यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट होगा। कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि यह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा। यह कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देने में सक्षम है। इसकी रेजॉलूशन 0.25 या 25 सेंटीमीटर तक (यह 25cm की दूरी से अलग दो वस्तुओं को अलग कर सकता है) है। बता दें कि पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक में भी कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी। तब इसरो के इन उपग्रहों की मदद से ही आतंकियों के ठिकानों का पता किया गया था और साथ ही लाइव तस्वीरें भी मंगाई गई थीं। इतना ही नहीं विभिन्न प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में भी यह सैटेलाइट सक्षम हैं।