अस्थाना के खिलाफ जांच के लिए सीबीआई को और दो महीने का मिला वक्त

Edited By Yaspal,Updated: 09 Oct, 2019 07:39 PM

cbi gets another two months to investigate against asthana

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई के तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से कथित तौर पर जुड़े रिश्वत के मामले में जांच पूरी करने के लिए बुधवार को एजेंसी को और दो महीने का वक्त दे दिया। न्यायमूर्ति विभु बाखरु ने साफ कर दिया कि एजेंसी को इसके

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई के तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से कथित तौर पर जुड़े रिश्वत के मामले में जांच पूरी करने के लिए बुधवार को एजेंसी को और दो महीने का वक्त दे दिया। न्यायमूर्ति विभु बाखरु ने साफ कर दिया कि एजेंसी को इसके बाद और वक्त नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जांच में अनिश्चितकाल की देरी नहीं की जा सकती और इसे अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। सीबीआई ने जांच पूरी करने के लिए और समय मांगा था जिसके बाद अदालत ने दो महीने का वक्त देते हुये उसकी अर्जी का निपटारा कर दिया।

सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत से कहा कि न्यायिक सहायता के लिए अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात को अनुरोध पत्र भेजे गए हैं और उनके जवाब का इंतजार है। उन्होंने कहा कि वहां से जवाब मिलने तक जांच पूरी नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि अनुरोध पत्र अमेरिका को पिछले महीने जबकि संयुक्त अरब अमीरात को पिछले हफ्ते भेजा गया।

अनुरोध पत्र अदालत की ओर से विदेशी अदालत को न्यायिक सहायता के लिए औपचारिक रूप से भेजा जाने वाला अनुरोध होता हैं। बनर्जी ने जांच पूरी करने के लिए अदालत से कम से कम और तीन महीने का वक्त देने का अनुरोध किया था। लेकिन तीन आरोपियों अस्थाना, एजेंसी के डीएसपी देवेंद्र कुमार और कारोबारी मनोज प्रसाद के वकील ने विरोध किया।

आरोपियों के वकील ने कहा कि दूसरे देशों को अनुरोध पत्र पिछले महीने भेजे गए जबकि अदालत ने जांच को दस हफ्ते में पूरी करने का आदेश जनवरी में दिया था। सीबीआई ने जांच पूरी करने की दिशा में उठाए गए कदमों संबंधी स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की। इसी वर्ष 11 जनवरी को अदालत ने एजेंसी को जांच पूरी करने के लिए 10 हफ्ते का वक्त दिया था। यह अवधि पूरी होने के बाद एजेंसी ने अदालत से और वक्त मांगा था। इस पर अदालत ने उन्हें चार महीने का वक्त और दिया था।

अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार की रोकथाम अधिनियम की संबद्ध धाराओं के तहत आपराधिक साजिश रचने, भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधि का मामला दर्ज किया गया। मांस निर्यातक मोईन कुरौशी से जुड़े एक मामले के जांच अधिकारी रहे कुमार को हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना के बयान दर्ज करने में गड़बड़ी के आरोप के बाद गिरफ्तार किया गया था। सना ने मामले में राहत पाने के लिए कथित तौर पर रिश्वत दी थी। इस मामले में कुमार को 22 अक्टूबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 31 अक्टूबर को जमानत मिल गई थी।

 

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