Edited By Anil dev,Updated: 12 Jul, 2019 10:40 AM
सी.बी.आई. द्वारा उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में 2 दिन पहले की गई छापेमारी की कार्रवाई भले ही भ्रष्टाचार से जुड़ी हो लेकिन जिस तरह से चुनिंदा लोगों एवं उनके करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है
नई दिल्ली: सी.बी.आई. द्वारा उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में 2 दिन पहले की गई छापेमारी की कार्रवाई भले ही भ्रष्टाचार से जुड़ी हो लेकिन जिस तरह से चुनिंदा लोगों एवं उनके करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है, उससे विपक्षों दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। कई राजनीतिक दल एवं नेता इसे चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं जबकि, हरियाणा में नवम्बर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। यू.पी. में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अपनी-अपनी ताकत झोंकने वाली हैं जबकि, हरियाणा में कांग्रेस अपनी वापसी के लिए मैदान में उतर चुकी है।
हर जगह कमल खिलाने की तैयारी में भाजपा
वहीं, भाजपा खुद भी मैदान में उतरते हुए हर जगह कमल खिलाने की तैयारी में है। चूंकि यू.पी. में ज्यादातर सीटें सत्ताधारी दल भाजपा की खाली हुई विधानसभा सीटें हैं, इसलिए वह विरोधियों को कमजोर करने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। यू.पी. से जुड़े दो अलग-अलग घोटालों के तार सपा और बसपा से जोड़कर उन पर और उनके नेताओं पर शिकंजा सी.बी.आई. के जरिए किया जा रहा है। इससे पार्टी और नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है।
हरियाणा में होने वाले हैं चुनाव
इसी तरह हरियाणा में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यहां विपक्ष में कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस में पहले नंबर पर हुड्डा फैमिली है। भाजपा सरकार से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार कई साल मुख्यमंत्री काबिज रहे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा से जुड़े एक जमीन घोटाले के सिलसिले में सी.बी.आई. ने मंगलवार को दिल्ली के जसोला स्थित बिल्डटैक कंपनी के दफ्तर पर छापा मारा था। इस मामले में इसी साल जनवरी में केस दर्ज किया गया था।
सी.बी.आई. ने छापे में हरियाणा में जमीन आबंटन से जुड़ी 14 फाइलें जब्त किए जाने का दावा किया है, जिनमें एक अहम फाइल हुड्डा के खिलाफ दर्ज केस से भी संबंधित है। सी.बी.आई. की इस कार्रवाई को हुड्डा के करीबी लोग चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि भाजपा की स्थिति हरियाणा में ठीक नहीं है और अपनी कमियों को छुपाने के लिए सी.बी.आई. का सहारा ले रहे हैं। कांग्रेस नेता एवं विधायक करन दलाल कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी लोकप्रिय नेताओं की छवि खराब करने एवं डराने के लिए इन्कम टैक्स, ई.डी. और सी.बी.आई. का सहारा ले रही है। भाजपा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य में डर और भय बनाना चाहती है। यही इनका मुख्य मकसद है लेकिन हरियाणा के लोग इनकी साजिश को समझते हैं।
बसपा की सियासी जमीन बंजर करने की कवायद
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में हुए चीनी मिल घोटाले को लेकर सी.बी.आई. ने शिकंजा कस दिया है। इसमें मायावती के करीबी नेताओं एवं अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी को 10 सीटें मिली थीं। सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। अब दोनों दल अलग-अलग हो चुके हैं लेकिन, मायावती की सियासी जमीन फिर से मजबूत हो गई है। बसपा के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो भाजपा इस जमीन पर अपनी सियासी फसल उगाना चाहती है, यही कारण है कि सी.बी.आई. द्वारा छापेमारी कर दबाव बनाने और मायावती को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है लेकिन बसपा इससे और मजबूत होकर उभरेगी।
खनन घोटाले के जरिए सपा को कमजोर करने की कोशिश
अखिलेश यादव की अगुवाई वाले समाजवादी पार्टी पर भी शिकंजा कसता जा रहा है। अखिलेश की अगुवाई में यू.पी. में जब सरकार थी, तब खनन घोटाला हुआ था। खनन मंत्रालय अखिलेश यादव के पास ही था जबकि राज्यमंत्री के तौर पर गायत्री प्रजापति थे। एक दिन पहले बुलंदशहर के जिलाधिकारी के यहां सी.बी.आई. कार्रवाई हुई है। यहां भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई है जबकि, प्रजापति पर एक और केस दर्ज हुआ है। लिहाजा, अब अखिलेश यादव तक जांच पहुंचने वाली है। सूत्रों के मुताबिक सी.बी.आई. के जरिए समाजवादी पार्टी को भी कमजोर किया जा सकता है। हालांकि, इस मसले पर समाजवादी पार्टी के कोई भी बड़े नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं हुए।