Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Apr, 2018 04:27 PM
सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र, दिल्ली सरकार तथा दूसरे प्राधिकारों से कहा कि राजधानी में अनधिकृत निर्माण और अवैध ढांचों की सीलिंग को ‘राजनीति का मुद्दा’ नहीं बनाएं। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने यह टिप्पणी उस...
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र, दिल्ली सरकार तथा दूसरे प्राधिकारों से कहा कि राजधानी में अनधिकृत निर्माण और अवैध ढांचों की सीलिंग को ‘राजनीति का मुद्दा’ नहीं बनाएं। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने उसे सूचित किया कि संबंधित एजेंसियों की बैठक में अनधिकृत निर्माणों से जुड़े सारे मुद्दों की निगरनी के लिए एक विशेष कार्यबल गठित करने का प्रस्ताव रखा गया है। पीठ ने कहा कि कुछ और बिंदू हैं और आप इन पर भी गौर कीजिए। यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। शीर्ष अदालत ने प्राधिकारियों से कहा कि इस मामले में आगे बढ़ते समय, विशेषकर स्कूलों में आग से सुरक्षा के पहलू और भूजल के स्तर में जबर्दस्त कमी को भी ध्यान में रखा जाए।
पीठ ने प्राधिकारियों को यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली के नागरिकों की सेहत लाभ से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है और उन्हें इस मुद्दे को एक समग्र रूप में देखना होगा। पीठ ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवई 18 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी। शीर्ष अदालत ने अवैध निर्माण रोकने में असफल रहने पर चार अप्रैल को केंद्र, दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को फटकार लगाई थी। पीठ ने कहा था कि प्राधिकारियों की निष्क्रियता की वजह से नागरिकों, विशेषकर बच्चों, के फेफड़े क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। दिल्ली की जनता प्रदूषण , पार्किंग और हरित क्षेत्र की कमी के संकट से जूझ रही है। कोर्ट ने इससे पहले गैर-कानूनी निर्माण वाली संरचनाओं की पहचान करने और उन्हें सील करने के लिए 24 मार्च 2006 को गठित निगरानी समिति को बहाल करने का आदेश दिया था।