Edited By vasudha,Updated: 27 Feb, 2019 01:45 PM
उच्चतम न्यायालय ने 22 फरवरी के बाद कश्मीरियों के खिलाफ हिंसा का कोई नया मामला सामने नहीं आने के केन्द्र के बयान पर बुधवार को संज्ञान लिया। इस मुद्दे को लेकर 22 फरवरी को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी...
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने 22 फरवरी के बाद कश्मीरियों के खिलाफ हिंसा का कोई नया मामला सामने नहीं आने के केन्द्र के बयान पर बुधवार को संज्ञान लिया। इस मुद्दे को लेकर 22 फरवरी को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी।
न्यायालय ने 22 फरवरी को 11 राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों को पुलवामा आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों के खिलाफ कथित धमकी, सामाजिक बहिष्कार और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए ‘शीघ्र’ और ‘आवश्यक’ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के बयान पर संज्ञान लिया।
वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य के बाहर रह रहे कश्मीर घाटी के निवासियों की सुरक्षा के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद कश्मीरियों के खिलाफ हिंसा की कोई ताजा घटना नहीं हुई है। पीठ ने कहा कि केन्द्र के बयानों को देखते हुये इस संबंध में और किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने वकील तारिक अदीब द्वारा दायर याचिका पर दो सप्ताह के बाद सुनवाई की अगली तारीख सूचीबद्ध की। न्यायालय ने अपना जवाब नहीं देने वाले राज्यों से एक सप्ताह के भीतर ऐसा करने को कहा है।