Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jul, 2018 02:05 AM
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका का सोमवार को विरोध किया जिसमें किसी उम्मीदवार के एक से अधिक जगह से चुनाव लडऩे पर रोक लगाने की मांग की गई है। केंद्र ने कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी और याचिका इस बात को स्थापित करने...
नई दिल्ली : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका का सोमवार को विरोध किया जिसमें किसी उम्मीदवार के एक से अधिक जगह से चुनाव लडऩे पर रोक लगाने की मांग की गई है। केंद्र ने कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी और याचिका इस बात को स्थापित करने में विफल रही कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का किसी भी तरीके से उल्लंघन किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि रिट याचिका खारिज की जा सकती है क्योंकि यह इस बात को दर्शाने में विफल रही है कि लोगों के किसी मौलिक या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के उप सचिव के के सक्सेना ने हलफनामे में कहा , ‘यह प्रार्थना की जाती है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 (7) में संशोधन से चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों के अधिकारों के उल्लंघन के साथ - साथ राजनीति में उम्मीदवारों के विकल्प में कटौती होगी।’
हलफनामे में कहा गया कि भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका इस बात को दर्शाने में विफल रही कि मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन हुआ है। इस याचिका पर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ विचार करेगी। हलफनामे में कहा गया है कि कानून के तहत व्यक्ति को एक साथ दो क्षेत्रों से चुनाव लडऩे की अनुमति दी गई है और इससे वंचित करने के लिये कानून में संशोधन की जरूरत होगी। हलफनामे में कहा गया कि किसी उम्मीदवार के दो सीटों से चुनाव लडऩे के अधिकार में कटौती के लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही याचिका को खारिज करने की मांग की गई।
चुनाव आयोग ने पिछले साल दिसंबर में दायर अपने हलफनामे में चुनाव सुधार पर 2004 के अपने प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए कहा था कि इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन किया जाना चाहिए कि कोई व्यक्ति एक से अधिक सीट से चुनाव नहीं लड़े।