मंकीपॉक्स को लेकर एक्शन में केंद्र सरकार, एक्सपर्ट्स के साथ की अहम बैठक

Edited By Yaspal,Updated: 04 Aug, 2022 05:05 PM

central government in action regarding monkeypox important meeting with experts

देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच इस बीमारी से निपटने को लेकर दिशा निर्देशों पर पुनर्विचार करने के लिए केंद्र ने बृहस्पतिवार को शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई। देश में मंकीपॉक्स के अब तक नौ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से एक...

नई दिल्लीः देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच इस बीमारी से निपटने को लेकर दिशा निर्देशों पर पुनर्विचार करने के लिए केंद्र ने बृहस्पतिवार को शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई। देश में मंकीपॉक्स के अब तक नौ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से एक मरीज की मौत हो गयी है।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘यह मौजूदा दिशा निर्देशों पर पुनर्विचार के लिए की गयी एक तकनीकी बैठक थी।'' बैठक की अध्यक्षता आपात चिकित्सा राहत के निदेशक डॉ. एल. स्वस्तिचरण ने की और इसमें राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधि शामिल हुए।

केंद्र द्वारा ‘‘मंकीपॉक्स बीमारी के प्रबंधन पर जारी दिशा निर्देशों'' के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति ने पिछले 21 दिनों के भीतर प्रभावित देशों की यात्रा की है और उसके शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने, लसिका ग्रंथियों में सूजन, बुखार, सिर में दर्द, शरीर में दर्द और बहुत ज्यादा कमजोरी जैसे लक्षण दिखायी देते हैं तो उसे ‘संदिग्ध' माना जाएगा।

संपर्क में आए लोगों को परिभाषित करते हुए दिशा निर्देशों में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित में पहला लक्षण दिखायी देने और त्वचा पर जमी पपड़ी के गिर जाने तक की अवधि के दौरान उसके संपर्क में एक से अधिक बार आता है तो उसे संपर्क में आया व्यक्ति माना जाएगा। यह संपर्क चेहरे से चेहरे का, शारीरिक संपर्क, जिनमें यौन संबंध शामिल है, कपड़ों या बिस्तर के संपर्क में आना हो सकता है। इसे मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला माना जाएगा। डब्ल्यूएचओ ने हाल में मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित किया था।

मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला संक्रमण है और इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं। किसी मरीज से अंतिम संपर्क के 21 दिनों तक उसके संपर्क में आए लोगों के लक्षणों पर नजर रखी जानी चाहिए। बुखार होने की स्थिति में प्रयोगशाला में इसकी जांच की जानी चाहिए। मरीज के संपर्क में आए बिना लक्षण वाले लोगों को निगरानी में रहने के दौरान रक्त, कोशिकाओं, ऊतक, अंगों का दान नहीं करना चाहिए।

मंत्रालय के दिशा निर्देशों में कहा गया है कि मानव-से-मानव के बीच संचरण मुख्य रूप से श्वसन की बड़ी बूंदों के माध्यम से होता है। मंकीपॉक्स में लक्षण छह से 13 दिनों के बीच उभरते हैं और ऐतिहासिक रूप से इसमें मृत्यु दर 11 प्रतिशत है जबकि बच्चों के बीच मृत्यु दर अधिक है। हाल के दिनों में इस बीमारी में मृत्यु दर तीन से छह प्रतिशत रही है।

 

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