चाबहार बंदरगाह से भारत की ताकत बढ़ी, पाक-चीन को करारा जवाब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 09:56 AM

chabar port opened  india  s increased strength

चाबहार बंदरगाह ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच आज से खुल गया। इससे भारत की रणनीतिक ताकत बढ़ गई है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने केन्द्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन और अफगानिस्तान के वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री हुमायूं रासव की मौजूदगी...

तेहरान: चाबहार बंदरगाह ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच आज से खुल गया। इससे भारत की रणनीतिक ताकत बढ़ गई है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने केन्द्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन और अफगानिस्तान के वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री हुमायूं रासव की मौजूदगी में चाबहार बंदरगाह परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया। इसे पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में चीन के निवेश से निर्माणाधीन ग्वादर बंदरगाह एवं चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सी.पी.ई.सी.) की चुनौती से मुकाबले के लिए भी अहम माना जा रहा है। इस बंदरगाह को सामरिक नजरिए से पाकिस्तान और चीन के लिए भारत का करारा जवाब माना जा रहा है।

इसके उद्घाटन से एक दिन पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के साथ ईरान की राजधानी तेहरान में बैठक कर चाबहार प्रोजैक्ट से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की थी। इसका निर्माण ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड (सेना) से संबद्ध कंपनी खातम अल-अनबिया कर रही है। सुषमा स्वराज ने एक माह पहले ही ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए अफगानिस्तान जाने वाली गेहूं की पहली खेप को हरी झंडी दिखाई थी। अफगानिस्तान के लोगों के लिए 11 लाख टन गेहूं की यह खेप भारत सरकार द्वारा दिए गए उस वचन का हिस्सा है जिसमें कहा गया था कि वह अफगानिस्तान को अनुदान के आधार पर गेहूं भेजेगा।

भारत को यह होगा फायदा
चाबहार बंदरगाह बनने के बाद समुद्री मार्ग से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो पाएंगे और इसके जरिए अफगानिस्तान व सैंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे। अत: यह बंदरगाह व्यापार और सामरिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है। भारत और ईरान दोनों का मानना है कि चाबहार परियोजना से न केवल दोनों देशों बल्कि अफगानिस्तान एवं समूचे मध्य एशियाई क्षेत्र को बड़े एवं दीर्घकालिक लाभ होंगे।

कहां है यह बंदरगाह
चाबहार दक्षिण-पूर्व ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक बंदरगाह है, इसके जरिए भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान को बाईपास करके अफगानिस्तान के लिए रास्ता बनाएगा। गौरतलब है कि अफगानिस्तान की कोई भी सीमा समुद्र से नहीं मिलती और भारत के साथ इस मुल्क के सुरक्षा संबंध और आॢथकहित जुड़े हैं। फारस की खाड़ी से बाहर बसे इस बंदरगाह तक भारत के पश्चिमी समुद्री तट से पहुंचना आसान है। इस बंदरगाह के जरिए भारतीय सामानों के ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय एक-तिहाई कम हो जाएगा।

500 मिलियन डॉलर निवेश करेगा भारत
चाबहार बंदरगाह परियोजना के पहले चरण में भारत 200 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने जा रहा है। इसमें फरवरी में दिए गए 150 मिलियन डॉलर भी शामिल हैं। भारत इस प्रोजैक्ट पर कुल 500 मिलियन डॉलर निवेश करेगा।

पिछले साल हुआ था समझौता
भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच परिवहन व पारगमन गलियारे के रूप में इस बंदरगाह को विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच पिछले साल मई में त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच समझौता हुआ है।

 

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