कंप्यूटर की जासूसी मामला: गृह मंत्रालय के फैसले को SC में दी चुनौती

Edited By vasudha,Updated: 24 Dec, 2018 03:02 PM

challenges of the home ministry decision in sc

किसी भी कंप्यूटर प्रणाली को इंटरसेप्ट करने, उनकी निगरानी और कूट भाषा का विश्लेषण करने के लिये 10 केन्द्रीय एजेन्सियों को अधिकृत करने का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया।  अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुये...

नेशनल डेस्क: किसी भी कंप्यूटर प्रणाली को इंटरसेप्ट करने, उनकी निगरानी और कूट भाषा का विश्लेषण करने के लिये 10 केन्द्रीय एजेन्सियों को अधिकृत करने का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया।  अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुये न्यायालय से इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है।  
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कोर्ट में दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि अधिसूचना का मकसद अघोषित आपातस्थिति के तहत आगामी आम चुनाव जीतने के लिये राजनीतिक विरोधियों, विचारकों और वक्ताओं का पता लगाकर पूरे देश को नियंत्रण में लेना है। याचिका में कहा गया कि हमारे देश का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। निगरानी की खुली छूट देने के गृह मंत्रालय के इस आदेश का निजता के मौलिक अधिकार की कसौटी पर परीक्षण किया जाना चाहिए। 

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शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में सरकार की इस अधिसूचना को गैर कानूनी, असंवैधानिक और कानून के विपरीत बताया है। उन्होंने इन एजेन्सियों को इस अधिसूचना के आधार पर सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही करने या जांच शुरू नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। केन्द्रीय जांच एजेन्सियों को किसी भी कंप्यूटर की निगरानी करने या इंटरसेप्ट करने का अधिकार देने के सरकार के कदम की राजनीतिक दलों ने तीखी आलोचना की है और उनका आरोप है कि केन्द्र ‘निगरानी राज्य’ (र्सिवलान्स स्टेट) बनाने का प्रयास कर रहा है। 

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बता दें कि सरकार की अधिसूचना के अनुसार, 10 केन्द्रीय जांच एजेन्सियों को सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत कंप्यूटर इंटरसेप्ट करने और उसकी सामग्री का विश्लेषण करने का अधिकार प्रदान किया गया है। इस अधिसूचना में शामिल एजेन्सियों मे गुप्तचर ब्यूरो, नार्कोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आय कर विभाग के लिये), राजस्व गुप्तचर निदेशालय, केन्द्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेन्सी, रॉ, सिग्नल गुप्तचर निदेशालय (जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम के क्षेत्रों के लिये) और दिल्ली के पुलिस आयुक्त शामिल हैं।     

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