बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत के समक्ष चुनौतियां बरकरार: रिपोर्ट

Edited By shukdev,Updated: 19 Dec, 2018 06:47 PM

challenges to india to meet the growing demand of electricity report

बिजली वितरण में पिछले कुछ साल से उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद भारत अभी भी विद्युत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा है तथा भरोसेमंद आपूर्ति अभी भी कम है। विश्वबैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। बिजली के विषय में विश्वबैंक...

नई दिल्ली: बिजली वितरण में पिछले कुछ साल से उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद भारत अभी भी विद्युत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा है तथा भरोसेमंद आपूर्ति अभी भी कम है। विश्वबैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। बिजली के विषय में विश्वबैंक की क्षेत्रीय रिपोर्ट ‘इन द डार्क: हाऊ मच डू पावर सेक्टर डिस्टोर्सन्स कास्ट साऊथ एशिया’ के अनुसार भारत ने पिछले कुछ साल में घरों में बिजली पहुंचाने तथा बिजली कमी दूर करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

वर्ष 2018 में भारत ने सभी गांवों में बिजली पहुंचाई। रिपोर्ट के अनुसार, ‘इस उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद भारत को अभी भी बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विद्युत की काफी जरूरत है।’ इसमें अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि बढ़ती आबादी, तेजी से शहरीकरण और अर्थव्यवस्था में औसत 7 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ देश में बिजली की मांग 2018 से 2040 के बीच लगभग तीन गुनी हो जाएगी।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है जबकि कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न वायु प्रदूषण एक अन्य बड़ी चुनौती है। विश्व बैंक के अनुसार नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के महत्वकांक्षी कार्यक्रमों के बावजूद भारत अभी भी कुल बिजली का 75 प्रतिशत कोयले से उत्पादित करता है। इसके अलावा उद्योग अपने उपयोग के लिये भी कोयला और डीजल जनरेटरों से बिजली पैदा करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार 1947 में आजादी के बाद भारत ने बुनियादी उद्योग बिजली क्षेत्र के विकास के लिए विधायी पहल शुरू की। इसके तहत आने वाले समय में कई सुधार किए गए। लेकिन इन सबके बावजूद राज्य की बिजली कंपनियां अभी भी प्रदर्शन में सुधार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि देश के बिजली उत्पादन क्षेत्र में राज्य सरकार के अकुशल बिजलीघर, पारेषण क्षेत्र में कम निवेश, बिजली की कम कीमत तथा वितरण कंपनियों को नुकसान जैसी कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

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