उद्योग की तरह बने व्यापार नीतिः चैंबर ऑफ ट्रेडर्स फेडरेशन

Edited By Ashish panwar,Updated: 28 Jan, 2020 08:03 PM

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हर साल की तरह इस बार भी केंद्रीय बजट पर देश के करोड़ों लोगों की नजर लगी हुई। विशेषकर व्यापारी वर्ग की बात करे तो वह वित्त मंत्री सीता रमण से इस बार विशेष आस लगायें बैठे है। व्यापारी वर्ग का कहना है कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में जिस तरह उद्योगों को...

नई दिल्लीः हर साल की तरह इस बार भी केंद्रीय बजट पर देश के करोड़ों लोगों की नजर लगी हुई। विशेषकर व्यापारी वर्ग की बात करे तो वह वित्त मंत्री सीता रमण से इस बार विशेष आस लगायें बैठे है। व्यापारी वर्ग का कहना है कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में जिस तरह उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पहल कर रहा है, उसी की तर्ज पर व्यापार पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएं। छोटे कारोबारियों को लाभ देने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने जोर दिया कि केंद्रीय बजट में जम्मू-कश्मीर में उद्योगों के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

 

चालू और नए उद्योगों पर आयकर पर आगामी पांच साल की छूट दी जाए। औद्योगिक प्रोत्साहन जो हैं, उन्हें प्लांट और मशीनरी की इन्वेस्टमेंट के साथ लिंक किया गया है, जबकि उन्हें लिंक न करके और पांच साल का प्रोत्साहन दिया जाए। इसमें पहले से लिमिट निर्धारित की गई है। केंद्र सरकार पहले खुद जम्मू-कश्मीर में मदर इंडस्ट्री को स्थापित करने की पहल करे। मसलन यहां रेल कोच मरम्मत फैक्टरी खोली जाए, जिसमें स्थानीय इकाइयां उत्पादन करके उन्हें माल दे। जीएसटी नियमों को सरल बनाया जाए और पुरानी ब्याज व जुर्माना माफ किया जाए। ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाउस नेहरू मार्केट के महासचिव दीपक गुप्ता ने कहा कि उद्योग नीति की तरह प्रधानमंत्री व्यापार नीति बनाएं। व्यापार से जुड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े बाजारों और ऑनलाइन बाजार की लिमिट को तय किया जाए, इससे स्थानीय बाजार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। नई ट्रेड पॉलिसी के तहत कम से कम 25000 रुपये बिल लिमिट तय की जाए।

 

जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, खेल क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाए। जम्मू-कश्मीर में नए वेयर हाउस स्थापित किए जाएं। आयकर में उच्चतम स्लैब 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी किया जाए। चैंबर ऑफ ट्रेडर्स फेडरेशन के प्रधान नीरज आनंद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद उपजे हालात में ट्रेड को जो नुकसान हुआ है उनकी भरपाई पर काम किया जाए। आगामी 31 मार्च 2020 तक बैंक ऋणों पर ब्याज माफ किया जाए। एनपीए हो रहे बैंक खातों पर हितधारकों को राहत दी जाए।

 

 

 

 

 

 

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