Edited By Seema Sharma,Updated: 02 Jan, 2019 10:58 AM
तीन तलाक बिल पर आज एक बार फिर से राज्यसभा में चर्चा होगी। केन्द्र सरकार सदन में इस बिल को पास कराने की जद्दोजहद में जुटी है। इससे पहले सोमवार को विभिन्न मुद्दों पर हुए हंगामे के चलते यह बिल पेश नहीं हो पाया।
नई दिल्लीः तीन तलाक बिल पर आज एक बार फिर से राज्यसभा में चर्चा होगी। केन्द्र सरकार सदन में इस बिल को पास कराने की जद्दोजहद में जुटी है। इससे पहले सोमवार को विभिन्न मुद्दों पर हुए हंगामे के चलते यह बिल पेश नहीं हो पाया। मंगलवार को नए साल के आगमन पर सदन में छुट्टी की घोषणा की गई थी इसलिए अब दो दिन बाद आज इस पर फिर से चर्चा की संभावना जताई जा रही है। वहीं कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने के लिए राफेल मुद्दे पर हंगामा कर सकती है।
सोमवार को कांग्रेस ने तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की थी। बिल के खिलाफ 12 राजनीतिक पार्टियां ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को चिट्ठी लिखी है। इन 12 पार्टियों में-कांग्रेस, एनसीपी, टीडीपी, TMC, सीपीआई, सीपीएम और आम आदमी पार्टी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग रखी है। तमिलनाडु की AIADMK भी उन 12 पार्टियों के बीच शामिल है जो बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहती है जबकि अभी तक यही माना जा रहा था कि वह मोदी सरकार का इसमें समर्थन कर सकती है।
राज्यसभा में केंद्र की स्थिति
राज्यसभा में इस समय कुल सदस्यों की संख्या 244 है, जिसमें 4 सदस्य नामित हैं। हालांकि भाजपा का सदन में संख्या बल ज्यादा है लेकिन वो बिना विपक्ष के सहयोग से संसद में बिल नहीं पास करवा सकती।
एनडीए की स्थिति
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास 97 सदस्य हैं जिसमें भाजपा के 73 और जेडीयू के 6 हैं, इसके साथ ही 5 निर्दलीय, शिवसेना के 3, अकाली दल के तीन, 3 नामित सदस्य, बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के 1, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 1, नागा पीपल्स फ्रंट के 1, आरपीआई के 1 सांसद शामिल हैं।
विपक्ष का संख्याबल
विपक्ष का संख्याबल सरकार पर भारी है। विपक्ष के पास 115 सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के 50, TMC के 13, समाजवादी पार्टी के 13, TDP के 6, RJD के 5, CPM के 5, DMK के 4, BSP के 4, NCP के 4, आम आदमी पार्टी के 3, CPI के 2, JDS के 1, केरल कांग्रेस (मनी) के 1, आईएनएलडी के 1, आईयूएमएल के 1, 1 निर्दलीय और 1 नामित सदस्य शामिल हैं। ऐसे में मोदी सरकार के लिए विपक्ष का साथ मिलना जरूरी है।