Edited By Anil dev,Updated: 22 Jul, 2019 01:05 PM
भारत के इतिहास में आज नई तारीख को लिखा जाएगा। तारीख होगी भारत के चंद्रयान-2 को चांद की छत पर रवाना होने की। आज दोपहर 02:43 बजे इस मिशन को लॉन्च कर दिया जाएगा। इसे GSLV मार्क 3 एम-1 रॉकेट के द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
नई दिल्लीः भारत के इतिहास में आज नई तारीख को लिखा जाएगा। तारीख होगी भारत के चंद्रयान-2 को चांद की छत पर रवाना होने की। आज दोपहर 02:43 बजे इस मिशन को लॉन्च कर दिया जाएगा। इसे GSLV मार्क 3 एम-1 रॉकेट के द्वारा लॉन्च किया जाएगा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने इसकी जानकारी दी है। पहले चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनिकि कारणों के चलते ये प्रक्षेपण 22 तक के लिए टाल दिया गया था।
चंद्रयान 2 भारतीय चंद्र मिशन है जो पूरी हिम्मत से चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है - यानी कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र। इसका मकसद, चंद्रमा के प्रति जानकारी जुटाना और ऐसी खोज करना जिनसे भारत के साथ ही पूरी मानवता को फायदा होगा। इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही भावी चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव लाना है, ताकि आने वाले दौर के चंद्र अभियानों में अपनाई जाने वाली नई टेक्नॉलोजी तय करने में मदद मिले।
हम चांद पर क्यों जा रहे हैं?
चंद्रमा पृथ्वी का नजदीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आजमाने का परीक्षण केन्द्र भी होगा। चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा देने, वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने और खोजकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।
चंद्रयान 2 के वैज्ञानिक उद्देश्य क्या हैं?
चंद्रमा हमें पृथ्वी के क्रमिक विकास और सौर मंडल के पर्यावरण की अविश्वसनीय जानकारियां दे सकता है। वैसे तो कुछ परिपक्व मॉडल मौजूद हैं, लेकिन चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में और अधिक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। चंद्रमा की सतह को व्यापक बनाकर इसकी संरचना में बदलाव का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में भी कई महत्वपूर्ण सूचनाएं जुटाई जा सकेंगी। वहां पानी होने के सबूत तो चंद्रयान 1 ने खोज लिए थे और यह पता लगाया जा सकेगा कि चांद की सतह और उपसतह के कितने भाग में पानी है।
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव विशेष रूप से दिलचस्प है क्योंकि इसकी सतह का बड़ा हिस्सा उत्तरी ध्रुव की तुलना में अधिक छाया में रहता है। इसके चारों ओर स्थायी रूप से छाया में रहने वाले इन क्षेत्रों में पानी होने की संभावना है। चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में प्रारंभिक सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद है। चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का उपयोग करेगा जो दो गड्ढों- मंजिनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70ए दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का प्रयास करेगा।