Edited By Anil dev,Updated: 15 Jul, 2019 11:04 AM
चांद को अब वियोग से मत जोडिय़े। हिज्र की शब (जुदाई की रात) अब खत्म होने वाली है। शब-ए-विसाल (मिलन की रात) आने वाली है। शायरा परवीन शाकिर की ये पंक्ति ‘हिज्र की शब और ऐसा चांद’ बदलकर ‘शब-ए-विसाल और ऐसा चांद’ गुनगुनाने के लिए तैयार हो जाएं।
नई दिल्ली: चांद को अब वियोग से मत जोडिय़े। हिज्र की शब (जुदाई की रात) अब खत्म होने वाली है। शब-ए-विसाल (मिलन की रात) आने वाली है। शायरा परवीन शाकिर की ये पंक्ति ‘हिज्र की शब और ऐसा चांद’ बदलकर ‘शब-ए-विसाल और ऐसा चांद’ गुनगुनाने के लिए तैयार हो जाएं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो के वैज्ञानिक चांद से इस मिलन को साकार करने में जुटे हैं। रात में जब देश के ज्यादातर लोग सो रहे थे, इसरो के वैज्ञानिक जगे हुए थे। उन्हें एक नया इतिहास रचना है। ठीक रात 2:51 बजे चंद्रयान-2 की लांचिंग थी। ठीक 54 दिन बाद चांद के अनछुए हिस्से पर भारत का चंद्रयान उतरेगा। इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का ऐसा पहला देश होगा। दक्षिणी ध्रुव पर काफी ज्यादा गड्ढे (क्रेट्र्स) हैं। चांद पर उतरने के अब तक कुल 38 प्रयास हुए हैं और सफलता की दर 52 फीसदी है। ज्यादातर लैंडिंग भूमध्य रेखा क्षेत्र के आसपास हुई है, जहां गड्ढे कम और समतल जगह ज्यादा है। इसलिए इसरो का यह अभियान चांद के कई अनछुए राज भी खोल सकता है...
ऐसा होगा चांद का एक दिन
चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है...
चंद्रयान अभियान के लाभ
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत की ख्याति बढ़ेगी
अंतरिक्ष में भारत के कदम आगे बढ़ेंगे
नई आर्थिक संभावनाएं पैदा होंगी
कई नई खोज भारत के नाम दर्ज होंगी
वैज्ञानिक जानकारियां बढ़ेंगी
चांद पर छोड़ेगा अशोकचक्र और इसरो की पहचान
चंद्रयान-दो अभियान चांद की सतह पर अशोक चक्र और इसरो की प्रतीक छाप भी छोड़ेगा। इसरो के मुताबिक चांद पर भेजे जा रहे रोवोर प्रज्ञान के एक पहिए पर अशोक चक्र और दूसरे पर इसरो का प्रतीक बना हुआ है। जब यह चांद पर चलेगा तो चांद की सतह पर ये प्रतीक छप जाएंगे।
ऑर्बिटर से अलग होगा लैंडर
50 वें दिन 2 सितंबर को लैंडर विक्रम चांद की 100 गुणा 100 की कक्षा में ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा
51 वें दिन 3 सितंबर को लैंडर की डी-बूस्टिंग की जाएगी
देश का सबसे शक्तिशाली रॉकेट
पेलोड फेयरिंग (पीएलएफ)
चंद्रयान-2 (विक्रम और प्रज्ञान)
सी-25 क्रायोजेनिक चरण
एस-200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर
एल-110 तरल चरण
चंद्र की कक्षा में प्रवेश
लांचिंग के 22 वें दिन 6 अगस्त को यह चंद्र कक्षा में प्रवेश करेगा
लैंडिंग
लांचिंग के 54वें दिन 6 सितंबर को लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतर जाएगा
चंद्रबद्ध चरण
लांचिंग के 22 वें से 49वें दिन तक कुल 28 दिन तक चंद्रयान चंद्रमा की कक्षाओं में चक्कर लगाएगा
लैंडर के अवतरण इंजन स्टार्ट
54 वें दिन 6 सितंबर को लैंडिग प्रक्रिया शुरू होगी
चंद्र प्रक्षेपक पथ पर
17वें से 22वें दिन तक यह पांच दिन तक इस पथ पर चांद की ओर बढ़ेगा
ऐसे चली तैयारी
- 15 जुलाई : तड़के 2:51 बजे लांचिंग
- 14 जुलाई : सुबह 06:51 बजे उल्टी गिनती शुरू हुई, जीएसएलवी एमके-3 के तरल चरण के लिए प्रोपलेंट भरी गई, कोर स्टेज के लिए ईंधन यूएच-25 भरा गया।
- 12 जुलाई : लांचिंग की रिहर्सल की गई और प्रोपलेंट टैंकों को भरने से पहले दबावानुकूलित किया गया
- 11 जुलाई : लांच व्हीकल की बैटरी चार्ज की गई और लांचिंग संबंधि रूटीन जांच की गई
- 10 जुलाई : ढकने का काम पूरा, क्रायोजेनिक और लिक्विड चरण के नियंत्रण की जांच की गई
- 9 जुलाई : ऊष्मा नियंत्रक, प्रेशर सेंसर, कनेक्टर कैबल की जांच की गई
- 8 जुलाई : फुल ड्रेस रिहर्सल की तैयारी
- 7 जुलाई : राकेट जीएसएलवी एमके-3 को लांच पैड पर लाया गया
- 6 जुलाई : लांचपैड के लिए लांचिंग व्हीकल तैयार
- 5 जुलाई : लैंडर और ऑर्बिटर के लिंक चैक किए गए
- 4 जुलाई : चंद्रयान-2 को लांच व्हीकल के साथ कैप्सूल में समायोजित किया गया
- 2 जुलाई : चंद्रयान-2 को उपकरणों से लैस किया गया
- 29 जून : रोवोर प्रज्ञान लैंडर विक्रम में पहुंचा और विक्रम को ऑर्बिटर से जोड़ा गया
- 3 जून : चांद पर लैंडिंग की चुनौतियों को जांचा गया