Edited By Seema Sharma,Updated: 16 Jul, 2019 11:41 AM
चंद्रयान-2 की लांचिंग आखिरी समय पर टाल दी गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसका कारण तकनीकी रोड़ा बताया है। आखिरी समय में यह तकनीकी बाधा लांच व्हीकल सिस्टम जीएसएलवी मार्क-3
नेशनल डेस्कः चंद्रयान-2 की लांचिंग आखिरी समय पर टाल दी गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसका कारण तकनीकी रोड़ा बताया है। आखिरी समय में यह तकनीकी बाधा लांच व्हीकल सिस्टम जीएसएलवी मार्क-3 में पाई गई। यह भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली राकेट है। इसे बाहुबली नाम भी दिया गया। यह जीएसएलवी-2 से दोगुना ताकतवर है।
चंद्रयान-2 की लांचिंग सोमवार तड़के 2:51 बजे प्रस्तावित थी। रविवार सुबह 6:51 बजे लांचिंग के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। लांचिंग की फुलड्रेस रिहर्सल शुक्रवार को ही हो चुकी थी। सारी औपचारिक जांच पूरी कर ली गई थी। जीएसएलवी मार्क-3 की क्रायोजेनिक स्टेज के लिए तरल ऑक्सिजन और तरल हाइड्रोजन भरने का काम भी पूरा हो चुका था। मगर करीब एक बजकर 55 मिनट पर अचानक उल्टी गिनती रोक दी गई। चंद्रयान-2 की लांचिंग टाल दी गई।
गड़बड़ कहां
सूत्रों के मुताबिक गड़बड़ अंतरिक्षयान के एक इंजन में पाई गई है। समय रहते इसका पता लग गया। क्रायोजेनिक स्टेज में दबाव मेंटेन नहीं हो रहा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इंजन में गड़बड़ है तो उसके पुर्जे अलग किए जाएंगे और उन पर दोबारा काम होगा। समस्या को दूर करने के लिए कई तरह के कंप्यूटर टेस्ट होंगे। इन्हें फिर साथ जोडऩे और लांच के लिए तैयार करने में करीब 50 दिन का समय लगता है।
चार बार टली तारीख'
इसरो जनसंपर्क सहायक निदेशक बीआर गुरुप्रसाद ने बताया कि जल्द ही प्रक्षेपण की नई तारीख जल्द ही तय होगी। चंद्रयान-2 अभियान की लांचिंग की तारीख चार बार टल चुकी है। पहले इसे अक्तूबर 2018 में लांच होना था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी 2019 की गई, इस फिर बढ़ाकर 31 जनवरी की तिथि तय की गई और इसे भी बदल कर 15 जुलाई किया गया। अब 15 जुलाई को भी लांचिंग टल गई।
ऐसे समझें ताकत को
मंगलयान को लांच करने वाले पीएसएलवी और चंद्रयान-2 के लिए तैयार जीएसएलवी मार्क-3 की ताकत को ऐसे समझें।
- 1425 किग्रा वजन पृथ्वी की समतुल्य कक्षा तथा 1750 किग्रा निचली कक्षा में ले जाने में सक्षम
- 40 टन क्षमता का क्रायोजेनिक विकास इंजन ठ्ठ 6 सॉलिड बूस्टर लगाए गए हैं जो इसे सही ऊंचाई तक पहुंचने के लिए जरूरी बल देते हैं
- 4,000 किग्रा वजन पृथ्वी की समतुल्य कक्षा में तथा 8,000 किग्रा वजन निचली कक्षा तक पहुंचाने में सक्षम है
- 50 टन क्षमता के दो विकास इंजन क्रायोजेनिक स्टेज में लगे हैं
- 2 एस-200 सोलिड रॉकेट बूस्टर हैं जो इसे सही ऊंचाई पाने के लिए शुरुआत में सही बल देते हैं।
पास की हैं तीन परीक्षाएं
लांच व्हीकल जीएसएलवी मार्क-3 इससे पहले तीन सफल लांचिंग कर चुका है। इनमें 18 दिसंबर 2014 को किया गया क्रू मोड्यूल को धरती के वायुमंडल में सुरक्षित वापस लाने का परीक्षण भी शामिल है। इससी से भारत के अंतरिक्ष में मानव को भेजने की उम्मीद जगी। इसके अलावा 5 जनवरी 2017 को जीसेट-19 की लांचिंग और 14 नवंबर 2018 को जीसेट-29 की सफल लांचिंग भी जीएसएलवी मार्क-3 से ही की गई थी।
दर्शक हुए निराश
सोमवार तड़के चंद्रयान-2 की लांचिंग देखने के लिए काफी संख्या में लोग भी पहुंच गए थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी प्रक्षेपण स्थल पर मौजूद थे और सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी थी। सोमवार तड़के दो बजकर 51 मिनट पर होने वाली लांचिंग की उल्टी गिनती 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात एक बजकर 55 मिनट पर रोक दी गई थी। कई मिनट तक लोगों में उहापोह की स्थिति रही। इसके बाद इसरो ने इसकी पुष्टि की कि जीएसएलवी मार्क-।।। की प्रक्षेपण प्रणाली में तकनीकी खामी देखे जाने के बाद इसे रद्द किया गया। यह ऐतिहासिक क्षण देखने यहां लोग दूर-दूर से पहुंचे थे। सभी इसरो की हाल ही में बनी दर्शक दीर्घा से सांसें थामे प्रक्षेपण का इंतजार कर रहे थे, लेकिन जब घड़ी की सूई आगे नहीं बढ़ी और प्रक्षेपण टालने की घोषणा हुई तो उन्हें निराशा हाथ लगी। जैसे ही इस प्रक्षेपण रद्द करने की घोषणा हुई, लोग वहां से जाने लगे। वे जाने से पहले सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शनी के लिए लगे बड़े रॉकेट मॉडल के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे थे। तिरंगा झंडा थामे एक लड़का अपने परिवार के साथ यहां इस ऐतिहासिक क्षण को देखने आया था। उसने कहा कि वह मिशन रद्द होने से निराश है।
प्रक्षेपण प्रणाली के बारे में इसरो की सफलता दर असाधारण है। अंतिम मिनट तक एक रॉकेट में जटिल प्रणालियों की जांच करना और उनका निदान करना अपने आप में एक कला है, जिसमें उन्हें महारत हासिल है । मुझे खुशी है कि इसरो के लोगों ने जल्दबाजी कर एक बड़ी आपदा मोल लेने की बजाए इसके प्रक्षेपण को रद्द करने का फैसला किया। उम्मीद है कि इस मिशन का प्रक्षेपण कुछ ही हफ्ते में होगा जो असफल होने से बेहतर होगा।
-राजेश कुम्बले नायक, प्रमुख, सेंटर फार एक्सीलेंस इन स्पेस साइंस, भारतीय वैज्ञानिक शिक्षा एवं अनुसंधन संस्थान, कोलकाता