Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Apr, 2019 03:42 PM
वैज्ञानिकों के एक अनुमान के मुताबिक दक्षिण चेन्नै तट पर तिररुवनमियुर से अड्यार नदी के मुहाने तक का हिस्सा समुद्र के पानी में डूब सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक साल 2100 तक आज जहां समुद्री तट है वहां से करीब 40 मीटर अंदर तक समुद्र का पानी आ सकता...
चेन्नै: वैज्ञानिकों के एक अनुमान के मुताबिक दक्षिण चेन्नै तट पर तिररुवनमियुर से अड्यार नदी के मुहाने तक का हिस्सा समुद्र के पानी में डूब सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक साल 2100 तक आज जहां समुद्री तट है वहां से करीब 40 मीटर अंदर तक समुद्र का पानी आ सकता है। यह भविष्यवाणी अन्ना यूनिवर्सिटी और नैशनल वॉटर सेंटर, यूएई यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है। शोध के मुताबिक इससे खारे जल के भूगर्भीय जल से मिलने का खतरा भी रहेगा और इसका असर जमीन के नीचे मौजूद जलभंडार या एक्वीफर पर पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने एक्वीफर पर समुद्र जल स्तर में बढ़ोतरी और लहरों के प्रभाव के असर को जानने के लिए 35 वर्ग किलोमीटर के इलाके का अध्ययन किया गया।
इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी, उत्तर में अड्यार नदी, पश्चिम में बकिंघम कैनाल और दक्षिण में मुत्तुकाडू बैकवॉटर है। वैज्ञानिकों ने इसके शोध के लिए अलग-अलग जगहों पर 30 बोरवैल खोदे जिससे पता चला कि यह इलाका चारों तरफ से पानी से घिरा है और यहां समुद्री पानी के आने का जोखिम बहुत ज्यादा है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 50 सालों से हिमालय के ग्लेशियर पिघलने की वजह से बंगाल की खाड़ी में एक साल में समुद्र तल में 3.6 मिमी वृद्धि दर्ज की गई है। 2007 की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक समुद्री जल स्तर में एक मीटर की वृद्धि तटीय इलाकों के अधिकतम 60 किमी में पानी भर सकती।