Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Dec, 2017 02:20 PM
छत्तीसगढ के कोण्डागांव में आदिवासियों के दर्द को समझने वाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ने एक आदिवासी महिला की जान बचाकर अपने जिंदा दिली का सबूत पेश किया। एक गर्भवती महिला को बांस की कुर्सी में बैठा कर कांधे में लादकर वाहन तक पहुंचाया। संजीवनी 102...
कोण्डागांव: छत्तीसगढ के कोण्डागांव में आदिवासियों के दर्द को समझने वाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ने एक आदिवासी महिला की जान बचाकर अपने जिंदा दिली का सबूत पेश किया। एक गर्भवती महिला को बांस की कुर्सी में बैठा कर कांधे में लादकर वाहन तक पहुंचाया। संजीवनी 102 के पायलट जयपाल पटेल और एक अन्य कर्मचारी की सूझबूझ से पहुंचविहीन इलाके से एक प्रसूता को समय रहते अस्पताल पहुंचाया जा सका, जिससे उसकी जान बच सकी और उसने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। यह मामला सोमवार की शाम का है जब संजीवनी 102 को कतलावड़ गतरीपारा में एक गर्भवती महिला के तड़पने की सूचना मिली।
सूचना पर पायलेट जयपाल पटेल और ईएमटी अजय कुमार निर्मल मौके के लिए निकले पर गांव पहुंचने के डेढ़ किलो मीटर पहले ही सड़क खत्म हो गयी। वाहन को दूर ही खड़ा कर वे किसी तरह पूछते हुये गर्भवर्ती महिला दयावती के घर तक पहुंच गये। महिला की हालत ज्यादा खराब होने के कारण ईएमटी अजय ने महिला की पहले प्राथमिक जांच की और महिला के परिजनों से कुर्सी मंगवाया। उस पर रस्सी बांध कर बल्ली से फंसा उसे कंधे पर लेकर धीरे-धीरे तकरीबन डेढ़ किलो मीटर की दूरी तय करते हुये एंबुलेंस तक पहुंचे। महिला को संजीवनी 102 की सहायता से जिला अस्पताल तक लाया गया। जहां महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।