Edited By Anil dev,Updated: 10 Jan, 2019 12:07 PM
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में भूगर्भ में ठहरे पानी में फ्लोराइड के चलते सैंकड़ों आदिवासी बच्चे पैदा होते ही विभिन्न बीमारियों से लगातार पीड़ित हो रहे हैं। बीजापुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर भोपालपट्टनम में स्थित गेरागुड़ा गांव...........
जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में भूगर्भ में ठहरे पानी में फ्लोराइड के चलते सैंकड़ों आदिवासी बच्चे पैदा होते ही विभिन्न बीमारियों से लगातार पीड़ित हो रहे हैं। बीजापुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर भोपालपट्टनम में स्थित गेरागुड़ा गांव तथा बस्तर जिले के बाकेल और सतोषा गांव में आदिवासियों की जवानी 25 साल की उम्र में ही खत्म हो रही है। वे लाठी लेकर चलने को मजबूर हो जाते हैं और 40 साल में प्रकृति के नियम के विपरीत बूढ़े होने लगते हैं। यहां 40 फीसदी लोगों में यह समस्या है।
मौत की ओर बढ़ रहा है पूरा गांव
यहां के हैंडपंपों और कुओं से निकलने वाले पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण पूरा गांव समय से पहले ही अपंगता के साथ मौत की ओर बढ़ रहा है। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण मजबूरन आज भी यहां के लोग फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। मौत की ओर बढ़ रहे इस गांव और ग्रामीणों की प्रशासन ने न तो सुध ली है और न ही कोई कार्ययोजना तैयार की है। इस गांव में 8 से 40 साल तक के हर तीसरे व्यक्ति में कूबड़पन, दांतों में सडऩ, पीलापन और बुढ़ापा नजर आता है। प्रशासन ने यहां तक सड़क तो बना दी पर विडंबना देखिए कि सड़क बनाने वाले प्रशासन की नजर पीड़ितों पर अब तक नहीं पड़ी।