छत्तीसगढ़ Assembly Result 2018: शाह का लक्ष्य 65 प्लस, पूरा किया राहुल ने

Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Dec, 2018 03:28 PM

chhattisgarh shah s goal is 65 plus completed by rahul

छत्तीसगढ़ में 65 प्लस का दावा करने वाली भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव 2018 का परिणाम एकदम उलटा पड़ गया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल गई है। खबर लिखे जाने तक कांग्रेस के पक्ष में 67 सीटों का रुझान था।

नेशनल डेस्कः छत्तीसगढ़ में 65 प्लस का दावा करने वाली भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव 2018 का परिणाम एकदम उलटा पड़ गया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल गई है। खबर लिखे जाने तक कांग्रेस के पक्ष में 67 सीटों का रुझान था। जो कि स्पष्ट हैं 65 प्लस तो पार कर ही लेगी। लेकिन खबसे खास बात ये है कि किसी ने भी नहीं सोचा था कि कांग्रेस इनती बड़ी बहुत से सरकार बनाएगी। इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति एक बहुत बड़ा कारण है। कांग्रेस पिछले तीन साल से 15 साल के वनवास खत्म करने का प्रयास कर रही थी। आज इसका परिणाम स्पष्ट दिखाई दिया है।

ऊपर से नीचे तक संगठन किया मजबूत
कांग्रेस अपने नेताओं को जोड़ते गई और कांग्रेस की मजबूती का ढांचा तैयार होता गया। जुलाई 2017 में पीएल पुनिया को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी दी। तब से ये सिलसिला जारी रहा। पुनिया ने भी प्रदेश के शीर्ष नेताओं के बैठक कर संगठन मजबूत करने की बात करते रहे। इसके बाद पार्टी ने एक-एक कर जोडऩा शुरू किया। पिछली दफा 2013 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद भूपेश बघेल को कमान सौंपी तो उनके काम करने के तरीके से उनके ही समर्थक खफा होने लगे थे। जब चुनावी समर आया तो लगातार अपने नेताओं को नए-नए दायित्व सौंपकर पार्टी को संगठित करने लगी। तब कांग्रेस के पास संगठन के नाम पर ब्लॉक के नीचे ढांचा ही नहीं था। पुनिया और भूपेश ने पहचान कर बूथ स्तर पर काम करना शुरू किया।
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सभी बड़े नेताओं को दी गई जिम्मेदारी
पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे डॉ. चरणदास मंहत को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया। टीएस सिंहदेव को भी कई जगह शीर्ष पदों पर रखा गया। ताम्रध्वज साहू को भी ओबीसी सेल का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद प्रदेश चुनाव अभियान समिति, केंद्रीय कमेटी जैसे कई महत्वपूर्ण पदों का दायित्व सौंपा। इसका प्रभाव दुर्ग संभाग की 20 सीटों पर देखने को मिला।

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बड़े नेताओं के मैदान में होने का असर
सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव का वर्चस्व रहा। वे 33 हजार वोटों से जीते भी और अपने क्षेत्र में 11 सीटों पर जीत दर्ज कराई। चरणदास मंहत ने बिलासपुर संभाग की 24 सीटों पर सीटें दिलाईं। वहीं दुर्ग ग्रामीण से ताम्रध्वज साहू ने अपनी सीट जीती व बेमेतरा जिले की सभी 3 सीट और दुर्ग जिले की 5 सीटों पर प्रभाव डाला।


क्या सरकार के खिलाफ इतना आक्रोश रहा कि भाजपा हारी!
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को 65 प्लस का लक्ष्य दिया था, लेकिन नतीजा उलटा रहा। कांग्रेस 65 प्लस हो गई और बीजेपी की स्थिति खराब हो गई। आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनी कि लोगों ने कांग्रेस को भारी बहुमत दिया। नेता प्रतिपक्ष रहे टीएस सिंहदेव ने बताया था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार अवश्य बनेगी तथा भाजपा और कांग्रेस के बीच में 15-20 का अंतर रहेगा। यह भी कहा था यदि कांग्रेस सरकार नहीं बन पाती तो आश्चर्यजनक होगा। टीएस सिंहदेव का यह पूर्वानुमान एकदम सटीक बैठा है।

हारने पर हो जाते हैं सैकड़ों कारण
यह आम धारणा रही कि रमन सरकार के खिलाफ लोगों में असंतोष नहीं, लेकिन उनके प्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली से भाजपा कार्यकर्ता सहित लोग भी परेशान रहे हैं और यही कारण रहा कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा संगठन 30 प्रतिशत अपने जनप्रतिनिधियों को बदलने का लगभग फैसला ले लिया था। लेकिन टिकट वितरण के बाद भाजपा ने सिर्फ मामूली परिवर्तन किया। पराजित प्रत्याशियों का भी यही कहना है यदि भाजपा प्रत्याशी चयन में सावधानी रखती तो हार इतनी बड़ी नहीं होती। पराजित एक मंत्री ने कहा कि भाजपा ने इस बार जो चुनाव लड़ा है वह बहुत अव्यवस्थित रहा। यहां तक की प्रत्याशी चयन भी ठीक नहीं रहा। इस पूर्व मंत्री का कथन नतीजे में साफ दिखाई दे रहा है। 
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सबके हित में काम, फिर भी पराजय
रमन सिंह ने अपने तीन कार्यकाल में जिस तरीके से प्रदेश के विकास को गति दी है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस साल में संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों ने जिस तरीके से नियमित करने की मांग को लेकर जबरदस्त आंदोलन चलाया था और उनमें जो असंतोष था संभवत वह भी नतीजे के रूप में परिवर्तित हो गया।

कर्ज माफी और समर्थन मूल्य भी कारण
कांग्रेस के घोषणापत्र में 2500 क्विंटल समर्थन मूल्य में धान खरीदने व कर्ज माफी के वादे ने जबरदस्त काम किया है। घोषणा पत्र के साथ ही किसानों ने धान बेचना बंद कर दिया था तभी से ऐसा लगने लगा था कि किसान कांग्रेस सरकार से कर्ज माफी और 2500 क्विंटल धान की कीमत लेना चाहते हैं। भाजपा के कार्यकर्ता भी इस बात को लेकर परेशान रहते थे।

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