Edited By Yaspal,Updated: 27 Dec, 2020 07:46 PM
शिवसेना द्वारा शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाए जाने की मांग को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इस बारे में शिवसेना और पवार को एक तरह से जवाब दे दिया है। चिदंबरम ने कहा कि यूपीए चेयरपर्सन कोई प्रधानमंत्री का पद नहीं...
नेशनल डेस्कः शिवसेना द्वारा शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाए जाने की मांग को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इस बारे में शिवसेना और पवार को एक तरह से जवाब दे दिया है। चिदंबरम ने कहा कि यूपीए चेयरपर्सन कोई प्रधानमंत्री का पद नहीं होता। मुझे नहीं लगता कि शरद पवार खुद कभी यूपीए गठबंधन की कमान संभालना चाहेंगे। वैसे भी कांग्रेस यूपीए की सबसे बड़ी पार्टी है और इसी वजह से उसका नेता ही इस गठबंधन का अध्यक्ष है।
पवार खुद चेयरपर्सन नहीं बनना चाहेंगे
न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में चिदंरबरम ने कहा- मुझे नहीं लगता कि शरद पवार खुद UPA का चेयरपर्सन यानी अध्यक्ष बनना चाहेंगे। क्योंकि, इसका कोई सवाल ही नहीं उठता। जब भी गठबंधन के दलों की मीटिंग होती है तो स्वाभाविक तौर पर वही व्यक्ति अध्यक्षता करता है जो सबसे बड़ी पार्टी का नेता होता है। वैसे भी हम को प्रधानमंत्री को सिलेक्ट कर नहीं रहे हैं। मेरे हिसाब से यूपीए चेयरमैन या चेयरपर्सन जैसी कोई चीज नहीं है।
कांग्रेस नेता ही UPA का अध्यक्ष
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा- UPA की बैठक जरूरी है। अगर हमारी पार्टी गठबंधन दलों की मीटिंग बुलाती है तो स्वाभाविक है कि हमारा ही नेता अध्यक्षता करेगा। जरूरत इस बात की है कि गठबंधन में शामिल सभी दल एक-दूसरे का सहयोग करें। देश में इसे मजबूत बनाया जाए। दूसरी पार्टियां भी मीटिंग बुला सकती हैं, कांग्रेस इसमें शामिल होगी। लेकिन, अगर कांग्रेस मीटिंग बुलाती है तो फिर उसका नेता ही इसकी अध्यक्षता करेगा। UPA में 9 या 10 पार्टियां हैं। कांग्रेस इनमें सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा और राज्यसभा में हमारे 95 से 100 सांसद हैं।
बयानबाजी की वजह क्या
दो दिन पहले शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया- UPA की कमान शरद पवार को सौंपी जानी चाहिए। वर्तमान में सोनिया गांधी UPA की चेयरपर्सन हैं। सोनिया ने अब तक UPA अध्यक्ष की भूमिका बखूबी निभाई, लेकिन अब बदलाव करना होगा। दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों का साथ देने के लिए आगे आना होगा। कई विपक्षी दल हैं जो यूपीए में शामिल नहीं हैं। उन दलों को साथ लाना होगा। कांग्रेस का अलग अध्यक्ष कौन होगा, यह साफ नहीं है। राहुल गांधी किसानों के साथ खड़े हैं, लेकिन कहीं कुछ कमी लग रही है। ऐसे में शरद पवार जैसे सर्वमान्य नेता को आगे लाना होगा। सामना में लिखा गया कि अभी जिस तरह की रणनीति विपक्ष ने अपनाई है, वह मोदी और शाह के आगे बेअसर है। सोनिया गांधी का साथ देने वाले मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल जैसे नेता अब नहीं रहे। इसलिए पवार को आगे लाना होगा।