Edited By shukdev,Updated: 13 Nov, 2018 07:03 PM
सबरीमला मंदिर के तंत्री (मुख्य पुजारी) ने भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मुद्दे पर अपने फैसले के खिलाफ पुर्निवचार याचिकाओं पर 22 जनवरी को खुली अदालत में सुनवाई करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का मंगलवार को स्वागत किया। तंत्री...
सबरीमला : सबरीमला मंदिर के तंत्री (मुख्य पुजारी) ने भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मुद्दे पर अपने फैसले के खिलाफ पुर्निवचार याचिकाओं पर 22 जनवरी को खुली अदालत में सुनवाई करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का मंगलवार को स्वागत किया। तंत्री कंदारू राजीवरू ने कहा, ‘यह एक बड़ी जीत है, यह अयप्पा की जीत है।’ उन्होंने याचिकाओं पर एक खुली अदालत में सुनवाई करने के शीर्ष न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि आज का निर्णय भगवान अयप्पा के आशीर्वाद से आया है।
उन्होंने कहा कि इस मंदिर ने इस तरह के संकट के समय का कभी सामना नहीं किया था। पहले तो बाढ़ ने मंदिर परिसर के आसपास के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया और फिर 28 सितंबर को शीर्ष न्यायालय का फैसला आया, जिसमें मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को पूजा अर्चना की इजाजत दी गई। देवास्वोम मंत्री के. सुरेंद्रन ने कहा कि सरकार फैसले के ब्योरे का इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘हम पहले भी यह कह चुके हैं। उच्चतम न्यायालय जो कुछ भी फैसला करेगा, हम उसका पालन करेंगे।’
इस बीच, भाजपा के प्रदेश प्रमुख पीएस श्रीधरण पिल्लई ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को एक अच्छा फैसला बताया। उन्होंने कहा, ‘हमने उच्चतम न्यायालय के आज के फैसले की भावना को स्वीकार किया है।’ सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। गौरतलब है कि 10 से 50 आयुवर्ग (रजस्वला आयुवर्ग) की महिलाओं पर इस मंदिर में प्रवेश पर सदियों से प्रतिबंध था क्योंकि सबरीमला मंदिर के मुख्य देवता को ‘नैस्तिक ब्रह्मचारी’ माना जाता है।