मुख्य सचिव मारपीट मामला: तो क्या आरोपी बन जाएंगे केजरीवाल और सिसोदिया?

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Jul, 2018 01:22 PM

chief secretary assault case kejriwal sisodiya will become accused

पहली दफा हुआ कि किसी मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी से एक मुख्यमंत्री के घर पर मारपीट की गई, मारपीट किसी और ने नहीं बल्कि विधायकों ने की, वह भी सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम की मौजूदगी में। मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई

नई दिल्ली (संजीव यादव): पहली दफा हुआ कि किसी मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी से एक मुख्यमंत्री के घर पर मारपीट की गई, मारपीट किसी और ने नहीं बल्कि विधायकों ने की, वह भी सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम की मौजूदगी में। मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई और विधायकों को जेल भी भेजा गया, लेकिन अब चार्जशीट तैयार की गई जिसे कोर्ट में दिया जाएगा, जिसके आधार पर तय होगा कि मुख्य सचिव की मारपीट में कौन-कौन दोषी है। हालांकि दिल्ली पुलिस अपनी चार्जशीट में सीएम और डिप्टी सीएम को बतौर आरोपी बना चुकी है, लेकिन उनका दोष कितना है ये कोर्ट तय करेगा। अभी फाइल एलजी के पास भेजी गई है जिसकी अप्रूवल के बाद तय होगा कि सीएम और डिप्टी सीएम को आरोपी बनाया जाएगा या नहीं।
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खाना नंबर-11 में रखा है केजरीवाल, सिसोदिया व विधायकों का नाम
सीएस मारपीट मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, विधायक प्रकाश जारवाल, राजेश ऋ षि, ऋतुराज, मदनलाल, अमानतुल्लाह खान, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, दिनेश मोहनिया, संजीव झा, राजेश गुप्ता और नितिन त्यागी को आरोपी बनाया गया है। अमानतुल्लाह व प्रकाश जारवाल के खिलाफ  पुलिस ने सीएस के साथ मारपीट करने व धमकी देने की धाराएं भी लगाई हैं। अन्य सभी को साजिश रचने व उसमें शामिल होने की धारा 120बी के तहत रखा गया है। सभी के नाम चार्जशीट के खाना नंबर-11 में रखे हैं।
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पहली बार ये सब भी हुआ

  • चीफ सेक्रेटरी अंशू प्रकाश मारपीट प्रकरण में पहली बार बतौर सीएम रहते हुए पुलिस एजेंसी द्वारा कॉल डिटेल तक खंगाली गई है। इसके अलावा केस में सीएम और डिप्टी सीएम पर निगाह भी रखी गई। 
  • किसी सीएम के खिलाफ पहली बार उनके ही मातहत काम करने वाले सीनियर अधिकारियों के बयान दर्ज कराए गए,यही नहीं बयानों को बाकायदा चार्जशीट में रखा गया।
  • बतौर सीएम के निजी सचिव को भी आरोपी के तौर पर रखा गया।
  • एक सीएम के खिलाफ उसके ही सलाहकार  को अहम गवाह बनाया गया और उसके मजिस्टे्रट के सामने बयान दर्ज कराए गए।
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    मुख्य सचिव का बयान फंसा सकता है  

सीएस अंशू प्रकाश ने अपने बयानों में कहा है कि उन्होंने दिल्ली सरकार के विज्ञापन पर कुछ आपत्ति जताई थी, जिससे सीएम सहित सभी नाराज थे। उन्होंने विज्ञापन संबधी फाइल के मिनट सहित कुछ रिपोर्ट को भी अपने बयानों के साथ दिया है, और जांच में ये बात सही साबित हुई है। क्योंकि सीएम आवास के स्टाफ की मीटिंग राशन के मुद्दे पर बुलाई गई थी क्योंकि जनता परेशान थी, लेकिन वहां पर इस मीटिंग से संबंधित कोई अन्य अधिकारी सहित मीटिंग के मिनट्स नहीं थे। साफ है कि एक साजिश के तहत उन्हें बुलाया गया था।

ये आधार भी फंसा सकता है आरोपियों को 
सीएस प्रशासनिक पद पर सबसे सीनियर अधिकारी होता है नतीजतन उसे ऑफिशियल मीटिंग में विधायकों के साथ सोफे पर नहीं बिठाया जा सकता। इसके अलावा जांच में ये बात सामने आई कि जिन दो विधायकों के बीच बिठाया गया उन पर पहले से ही आपराधिक मुकदमें दर्ज थे उसके बाद भी ऐसा क्यों हुआ। इन सब बातों का जवाब कोई भी विधायक संतोषजनक नहीं दे पाया है।
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यहां फंसे हैं सभी आरोपी 

  • घटनास्थल सीएम आवास है, और घटना के समय सीएम मौजूद थे 
  • घटना के पहले सीएम के आदेश पर ही सीएस को बुलाया गया यानि साजिश में वे शामिल थे
  • सीएस के आने से पहले सभी विधायक मौजूद थे, यानि एक साजिश के तहत मारपीट की गई
  • घटना के बाद सीएम आवास की तरफ से पुलिस को किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई, जबकि नियम के अनुसार वहीं से पहले सूचना मिलनी चाहिए थी
  • फॉरेंसिक रिपोर्ट में साफ हुआ कि कैमरे 40 मिनट पीछे थे, यानी कि साजिशन ऐसा 
  • किया गया
  • सीएस के बयानों के मुताबिक जो मीटिंग तय थी, वह नहीं थी, यानी कि उन्हें जानबूझ कर बुलाया गया और वारदात की गई।

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चार्जशीट पेश होती है, तो क्या होगा
1. अगर एलजी या राष्ट्रपति सीएम के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की मंजूरी देते हैं तो पुलिस बतौर आरोपी के तौर पर चार्जशीट पेश करेगी,ऐसी स्थिति में नैतिकता के आधार पर अन्य पार्टियां या विपक्षी दल केजरीवाल से इस्तीफा मांग सकते हैं। 

2. चार्जशीट दाखिल होने से आरोपी होता है, लेकिन दोषी नहीं होता,अगर कोई आरोप पत्र पर संज्ञान ले लेता है तो सीएम और डिप्टी सीएम बतौर केस में आरोपी के तौर पर रहेंगे।

3. कोर्ट में सीएम व डिप्टी सीएम के बचाव में याचिका डाली जा सकती है जिसमें प्रस्तुत रिपोर्ट का विरोध किया जा सकता है, ऐसे में कोर्ट केस की दोबारा जांच करने के भी आदेश दे सकती है। 
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केजरीवाल पहले ही दे चुके हैं आरोपी बनने की प्रतिक्रिया 
28 जून को कहा था : प्रधानमंत्री जी, दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को इस तरह के झूठे केस में फंसाना दिल्ली के लोगों का अपमान है, हम लोग तमाम विरोधों के बाद भी अपना काम कर रहे हैं और करेंगे, आप अपना धर्म निभाएं, हम अपना धर्म निभाएंगे।

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