जंक फूड के चलते मोटापे का शिकार हो रहा बचपन, पेरेंट्स हो जाएं सावधान

Edited By vasudha,Updated: 20 Oct, 2019 12:29 PM

childhood is becoming obese due to junk food

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने लोगों को मोटापे से सचेत करते हुए कहा कि आधुनिक जीवन शैली के कारण देश मे यह एक रोग की तरह तेजी से बढ़ता जा रहा है...

नेशनल डेस्क: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने लोगों को मोटापे से सचेत करते हुए कहा कि आधुनिक जीवन शैली के कारण देश मे यह एक रोग की तरह तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इसके मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है जो बहुत चिंताजनक है। यही नहीं स्कूली बच्चे भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। 

 

एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर नवल. के. विक्रम, डॉ पीयूष रंज, सर्जरी विभाग के डॉ सन्दीप अग्रवाल, अंत:स्राव तंत्र विभाग के डॉ राजेश खडागवत और फेफड़ा एवं अनिद्रा विभाग के डॉ विजय हड्डा ने बताया कि  शहरों में यह समस्या अधिक है क्योंकि शारीरिक श्रम और खेलकूद हमारे जीवन से कम होता जा रहा है। बच्चे टेलीविजन, मोबाइल और कंप्यूटर से चिपके रहते हैं। इसके अलावा फास्ट फूड की संस्कृति और वसा युक्त खाद्य पदार्थ के कारण मोटापा बढ़ रहा है। परीक्षा और प्रतियोगिता के दवाब के कारण बच्चे पढ़ाई पर अधिक समय दे रहे है। वे कसरत नहीं कर पा रहे हैं। इन सबका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा और वे मोटापा के शिकार हो रहे हैं।  

 

डॉक्टरों के अनुसार मोटापे के खतरे को देखते हुए अब स्कूल के पाठ्यक्रम में इसे पढ़ाये जाने की जरूरत है ताकि भविष्य की पीढ़ी स्वस्थ रह सके क्योंकि मोटापा सभी रोगों की जड़ है। यह जानलेवा भी हो सकता है। उनका कहना है कि अगर इसी गति से बच्चे मोटे होने लगे तो देश की उत्पादकता पर असर बढ़ेगा। पहले अमीर देशों में मोटापा अधिक होता था और विकासशील देशों में यह समस्या नहीं थी लेकिन अब भारत में भी यह समस्या तेजी से फैल रही है। एम्स में मोटापे की समस्या को लेकर पहले जितने मरीज आते थे, उनकी संख्या कुछ वर्षों में दोगुनी हो गयी है।

 

डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे खान पान पर विशेष ध्यान नहीं देते। झट एक समोसा और ब्रेड पकौड़ा खा लेते हैं यह ठीक से जानते भी नहीं कि इसमे कितनी कैलोरी है और खाने के बाद कैलोरी को घटाने का कोई प्रयास नहीं करते। इसलिए मोटापा बढ़ता है पर बच्चों में मोटापा रोकना जरूरी है क्योंकि इससे देश की उत्पादकता प्रभावित होगी। अभिभावकों और शिक्षकों को भी इस पर ध्यान देने की जरूरत है। तभी इस पर नियंत्रण हो सकेगा। इन डॉक्टरों ने स्वीकार किया कि फिट इंडिया कार्यक्रम से स्कूलों में स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ेगा। यह एक अच्छी योजना है। 

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