कोराना काल में भावनात्मक परेशानियों से जूझ रहे बच्चे, सरकारी हेल्पलाइन पर फोन कर मांगी मदद

Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Nov, 2020 12:39 PM

children struggling with emotional problems during the corona era

कोरोना वायरस का कहर भारत समेत दुनिया के कई देशों में हैं। कोरोना ने लोगों के जीवन को एकदम से बदल कर रखा दिया। वहीं कोरोना का असर बच्चों पर भी ज्यादा पड़ा है। दरअसल बच्चे स्कूल जाकर दोस्तों के साथ मस्ती कर लेते थे या अपने मन की बातें शेयर कर लेते थे...

नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस का कहर भारत समेत दुनिया के कई देशों में हैं। कोरोना ने लोगों के जीवन को एकदम से बदल कर रखा दिया। वहीं कोरोना का असर बच्चों पर भी ज्यादा पड़ा है। दरअसल बच्चे स्कूल जाकर दोस्तों के साथ मस्ती कर लेते थे या अपने मन की बातें शेयर कर लेते थे लेकिन पिछले 8 महीने से स्कूल-कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। ऐसे में बच्चे घरों में बंद हैं। कोरोना ने बच्चों के दिलों में एक अजीब डर बैठा दिया है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद एक 17 साल का छात्र बेहद चिंतित महसूस कर रहा था। उसे पढ़ाई में ध्यान लगाने में दिक्कत हो रही थी, जिससे परेशान होकर उसने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ‘टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर' 1800-121-2830 से संपर्क किया।

 

आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि सितंबर में ‘हेल्पलाइन' शुरू होने के बाद से NCPCR ने कोरोनो वायरस से संक्रमित 400 से अधिक बच्चों से फोन पर बात की है और उनकी समस्याओं का निदान किया। इस ‘टेली-काउंसेलिंग' सेवा का उद्देश्य उन बच्चों को मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा और भावनात्मक सहायता प्रदान करना है, जो संक्रमित होने के कारण covid देखभाल केंद्रों में पृथक हैं, या जिनके अभिभावक या परिवार के सदस्य संक्रमित पाए गए हैं या किसी अपने को उन्होंने वायरस के वजह से खो दिया है। अधिकारी ने बताया कि 17 साल लड़के ने बताया कि उसे काफी चिंता हो रही थी। उसने बताया कि वापस आने के बाद से अपने माता-पिता और भाई के साथ उसे बातचीत करने में परेशानी आ रही थी और पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रहा था।

 

अधिकारी ने कहा कि हेल्पलाइन पर काउंसेलरों ने सबसे पहले उनके साथ तालमेल स्थापित किया और सहानुभूति के जरिए बच्चे को उसकी समस्या के बारे में बात करने के लिए सहज बनाया। अधिकारी ने कहा कि बच्चे की चिंता का समाधान किया। covid के बाद उत्पन्न हुई शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए उसे सांस संबंधी व्यायाम भी बताया गया। बातचीत में उसने बताया कि उसके दादा के निधन से भी वह काफी दुखी है। इसके लिए उसे अपने दादा को पत्र लिखने को कहा गया। अधिकारी ने बताया कि हेल्पलाइन में ऐसे काउंसेलर हैं, जिन्हें विशेष रूप से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं न्यूरो-साइंसेज (NIMHANS) की विशेषज्ञ टीम ने इन कठिन समय में बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित किया है।

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